नई दिल्ली : 23 वर्ष पूर्व 13 दिसंबर 2001 को भारतीय लोकतंत्र के पवित्र मंदिर संसद भवन पर आतंकवादियों ने घातक हमला किया था। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवानों, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की एक महिला जवान और संसद के दो कर्मचारी शहीद हो गए थे। इस घटना को आज भी भारत में एक काले दिन के रूप में याद किया जाता है।
शुक्रवार को संसद हमले की 23वीं बरसी पर देश भर में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई अन्य राजनीतिक नेताओं ने शहीदों को नमन किया और उनके बलिदान को याद किया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से संसद हमले में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने लिखा, ‘मैं उन वीरों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं, जिन्होंने 2001 में आज के दिन हमारे संसद भवन की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनका साहस और निस्वार्थ सेवा भाव हमें प्रेरित करता रहेगा। राष्ट्र उनके और उनके परिवारों के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहेगा। इस दिन, मैं आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत के अटूट संकल्प को दोहराती हूं। हमारा देश आतंकवादी ताकतों के खिलाफ एकजुट है’।
राष्ट्रपति मुर्मु के इस संदेश में आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ नायक और संकल्प की महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति है। यह बलिदान उस समय के आतंकवादियों के प्रयासों को विफल करने का प्रतीक बना, जिन्होंने देश की संप्रभुता और लोकतांत्रिक संस्थाओं को निशाना बनाया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा ‘2001 के संसद हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी। उनका बलिदान हमेशा हमारे राष्ट्र को प्रेरित करेगा। हम उनके साहस और समर्पण के लिए सदा आभारी रहेंगे’। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में भी हिस्सा लिया और हमले में शहीद हुए वीर जवानों की याद में तस्वीरें साझा कीं।
अन्य नेताओं ने भी दी श्रद्धांजलि
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने श्रद्धांजलि संदेश में लिखा ’13 दिसंबर 2001 को लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले में अपने प्राणों की आहुति देकर राष्ट्र के गौरव की रक्षा करने वाले मां भारती के वीर सपूतों के चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। देश का कण-कण अपने बहादुर लालों के बलिदान का युगों-युगों तक ऋणी रहेगा’।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी, जिसमें उन्होंने लिखा ‘लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर वर्ष 2001 में हुए कायराना आतंकी हमले को विफल कर मां भारती के मान की रक्षा करने वाले वीर सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि। देश की संप्रभुता और स्वाभिमान को अक्षुण्ण रखने हेतु आपके सर्वोच्च बलिदान के प्रति यह राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा’।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और लिखा ‘संसद भवन पर आतंकवादी हमले का मुंहतोड़ जवाब देकर देश के सम्मान और स्वाभिमान के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले मां भारती के अमर सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। जवानों का पराक्रम और बलिदान देश के शौर्य इतिहास में सदैव स्वर्णिम अध्याय के रूप में युवाओं को प्रेरणा देता रहेगा’।
दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष ने किया नमन
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा ‘2001 में संसद भवन पर हुआ कायरतापूर्ण आतंकी हमला हमारे राष्ट्र की संप्रभुता व स्वाभिमान को घायल करने का कुत्सित व असफल प्रयास था। लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों को कोटि-कोटि नमन। आपका त्याग व बलिदान युगों-युगों तक स्मरणीय रहेगा’।
संसद पर हमला : एक काले दिन की याद
13 दिसंबर 2001 को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने संसद भवन पर हमला किया। आतंकवादियों का मुख्य उद्देश्य भारतीय संसद को निशाना बनाकर देश में भय और अस्थिरता फैलाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस और सुरक्षा बलों के साहस और समर्पण ने हमलावरों को विफल कर दिया। इस हमले में कुल आठ लोग शहीद हुए, जिनमें दिल्ली पुलिस के पांच जवान, एक महिला CRPF कर्मी और संसद के दो कर्मचारी शामिल थे। इस घटना ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के संघर्ष को एक नया मोड़ दिया और भारत की सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता और साहस को प्रदर्शित किया।
संसद हमले की 23वीं बरसी पर हम उन शहीदों को नमन करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर भारतीय संसद की रक्षा की और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित किया। यह दिन न केवल हमारे वीर सपूतों के बलिदान को याद करने का अवसर है, बल्कि यह हमें इस बात की भी याद दिलाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ हमेशा एकजुट रहेगा और अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटेगा।