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26/11 : भारत के इतिहास का काला दिन, शहीदों और साहसी नागरिकों को नमन

26/11 आतंकी हमले की 16वीं बरसी: शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर दी गई श्रद्धांजलि

by Rakesh Pandey
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मुंबई : यह दिन भारत के इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसी दिन देश ने अपनी आर्थिक राजधानी मुंबई में अब तक का सबसे बर्बर आतंकवादी हमला देखा था। 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसकर तीन दिनों तक खून-खराबा किया, जिसमें 166 निर्दोष नागरिकों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। इस आतंकवादी घटना ने न केवल मुंबई, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया।

26/11 का यह हमला आतंकवादियों की घिनौनी साजिश का परिणाम था, जिसने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) और नरीमन हाउस जैसे कई महत्वपूर्ण स्थानों को निशाना बनाया। इस हमले का मकसद सिर्फ निर्दोषों का खून बहाना नहीं था, बल्कि भारत की सुरक्षा और सहिष्णुता पर हमला करना भी था।

हमले का क्रूर स्वरूप

आतंकवादियों ने मुंबई में घुसते ही भारी हथियारों से लैस होकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। रेलवे स्टेशन, कैफे, और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर आम लोगों को बेदर्दी से मारा गया। ताज होटल और ओबेरॉय होटल में सैकड़ों लोग बंधक बनाए गए। नरीमन हाउस में आतंकवादियों ने निर्दोष यहूदी परिवार को अपना शिकार बनाया।

इन आतंकियों का नेतृत्व पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने किया था, और कसाब समेत इनमें से कई आतंकवादी प्रशिक्षित हत्यारे थे। इस घटना का सबसे भयावह हिस्सा यह था कि आतंकवादी मुंबई पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा बल (NSG) से लगातार तीन दिनों तक लड़ते रहे।

वीरता की मिसाल : शहीद और बचाव दल

इस हमले के दौरान मुंबई पुलिस, महाराष्ट्र ATS, NSG और अन्य सुरक्षा बलों ने जो साहस दिखाया, वह सराहनीय है। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, शहीद हेमंत करकरे, शहीद विजय सालस्कर और शहीद तुकाराम ओंबले जैसे वीर सपूतों ने अपनी जान देकर कई मासूमों की जिंदगी बचाई।

खासकर शहीद तुकाराम ओंबले की वीरता को कभी भुलाया नहीं जा सकता, जिन्होंने कसाब को जिंदा पकड़ने के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। कसाब का जिंदा पकड़ा जाना भारत की न्याय प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

स्मरण और सीख

आज 26/11 की बरसी पर पूरे देश में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है। मुंबई के ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के पास बने 26/11 स्मारक पर लोग मोमबत्तियां जलाकर उन वीरों को याद कर रहे हैं, जिन्होंने अपनी जान देकर देश को बचाया।

यह दिन हमें न केवल उन बहादुरों की याद दिलाता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि सुरक्षा में किसी भी तरह की चूक की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। 26/11 के बाद भारत ने अपनी सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

आशा और एकजुटता का संदेश

26/11 ने भारत को झकझोर दिया, लेकिन इसे झुकाया नहीं। यह घटना देश के नागरिकों की सहनशीलता, एकता और साहस का प्रतीक बन गई। यह वह दिन है जब हमने सीखा कि आतंकवाद चाहे जितना बड़ा हो, हमारी एकता और हौसला उसे परास्त करने के लिए हमेशा काफी है।

26/11 आतंकी हमले की 16वीं बरसी: शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर दी गई श्रद्धांजलि

26/11 मुंबई आतंकी हमले की 16वीं बरसी पर महाराष्ट्र में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस शहीद स्मारक पर वीर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।

इससे पहले, महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने पुलिस आयुक्त कार्यालय परिसर स्थित शहीद स्मारक पर वीरों को पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने इस दौरान शहीदों के बलिदान को याद करते हुए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

26/11 के हमलों में शहीद हुए जवानों और नागरिकों को देशभर से श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस दिन ने न केवल मुंबई बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया था। आतंकी हमले में जान गंवाने वाले शहीदों को नमन करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

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