नई दिल्ली : इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर उच्चतम न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों में कुल 42 याचिकाएं दायर की गई हैं। हालांकि, भारतीय न्यायपालिका ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि ईवीएम पूरी तरह से प्रामाणिक, भरोसेमंद और छेड़छाड़-रहित हैं। इस संबंध में सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में जानकारी दी।
ईवीएम की सुरक्षा उपायों पर सरकार का जवाब
ईवीएम की सुरक्षा और छेड़छाड़ रोकने के उपायों को लेकर सवाल पूछे गए थे। इन सवालों का जवाब देते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि निर्वाचन आयोग (ईसी) के अनुसार, ईवीएम एक ‘स्टैंडअलोन’ मशीन है जिसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार क्षमता नहीं होती। इसका मतलब यह है कि यह मशीन वायरलेस, ब्लूटूथ या वाई-फाई के माध्यम से किसी प्रकार का संचार नहीं कर सकती।
ईवीएम की सुरक्षा और तकनीकी विशेषताएं
मंत्री मेघवाल ने अपने लिखित उत्तर में बताया कि ईवीएम को किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ से बचाने के लिए इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से सुरक्षित बनाया गया है। मशीन में कई तकनीकी सुरक्षा विशेषताएं होती हैं, जैसे कि प्रोग्राम करने योग्य चिप, अनधिकृत पहुंच का पता लगाने वाला मॉड्यूल, उन्नत एन्क्रिप्शन तकनीक और मजबूत पारस्परिक प्रामाणीकरण क्षमता।
हरियाणा विधानसभा चुनाव और ईवीएम विवाद
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद, कांग्रेस पार्टी ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे। उनका आरोप था कि ईवीएम बैटरी से चार्जिंग के विभिन्न स्तरों के कारण चुनाव परिणामों में भिन्नता आई थी। इस पर कानून मंत्री ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने मशीनों की सुरक्षा और उनकी आवाजाही के दौरान सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए हैं। इनमें 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी, सशस्त्र सुरक्षा, लॉगबुक और जीपीएस आधारित वाहनों का इस्तेमाल शामिल है।
हालांकि विपक्षी दलों द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाए जा रहे हैं, सरकार और निर्वाचन आयोग लगातार यह स्पष्ट कर रहे हैं कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित और विश्वसनीय हैं। इसके बावजूद, न्यायपालिका द्वारा विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही है, और इस विषय पर बहस जारी है।