रांची : झारखंड सरकार की संवेदनशीलता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्रभावी पहल ने विदेश में फंसे झारखंड के श्रमिकों के लिए एक बार फिर राहत का मार्ग प्रशस्त किया है। मलेशिया की लीडमास्टर इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी में कार्यरत 50 झारखंडी श्रमिकों की वतन वापसी की प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है। श्रमिकों के साथ-साथ अन्य राज्यों के 20 कामगार भी भारतीय दूतावास के सहयोग से सुरक्षित भारत लौटेंगे।
मलेशिया में काम कर रहे 70 श्रमिकों की शिकायत राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को 24 सितंबर 2024 को मिली। इन श्रमिकों ने चार महीने से वेतन नहीं मिलने, भोजन की अनुपलब्धता और धमकियों जैसी गंभीर समस्याओं की जानकारी दी। उनका अनुबंधित वेतन 1,700 मलेशियन रिंगिट तय था, लेकिन केवल 1,500 रिंगिट मिल रहे थे, उसमें भी कटौती की जा रही थी।
सरकारी प्रयास और श्रम विभाग की भूमिका
शिकायत मिलने के बाद, झारखंड सरकार और श्रम विभाग ने इस मामले में सक्रियता दिखाई। श्रमिकों के दस्तावेजों की जांच और उनकी शिकायतों को श्रम विभाग के माध्यम से भारतीय दूतावास, कुआलालंपुर भेजा गया। दूतावास ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए कंपनी और श्रमिकों के बीच समझौता कराया। इसके फलस्वरूप, कंपनी ने श्रमिकों को बकाया वेतन भुगतान और भारत वापसी सुनिश्चित करने का निर्देश स्वीकार किया।
11 से 18 दिसंबर तक वतन वापसी
श्रमिकों की वापसी के लिए सभी आवश्यक कागजी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं। झारखंड सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि 11 से 18 दिसंबर के बीच सभी श्रमिक सुरक्षित रूप से अपने घर पहुंच जाएं।
मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता की सराहना
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंडी कामगारों की समस्याओं को गंभीरता से लिया और विदेशों में फंसे श्रमिकों की सहायता के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। इस पहल को राज्य में काफी सराहना मिल रही है, जो सरकार की श्रमिक कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारतीय दूतावास का सहयोग
भारतीय दूतावास, कुआलालंपुर ने मामले को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई। दूतावास ने श्रमिकों को संरक्षण में लेते हुए उन्हें सुरक्षित लौटाने के लिए हरसंभव कदम उठाए।
Read Also: Ranchi : ओरमांझी फायरिंग मामले में एक अपराधकर्मी गिरफ्तार, जेल में बंद सुजीत सिन्हा ने रची थी साजिश