जमशेदपुर : झारखंड सरकार के उद्योग, श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग के मंत्री संजय प्रसाद यादव ने जमशेदपुर के गोपाल मैदान में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) के तहत आयोजित प्रमंडल स्तरीय महोत्सव का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सरकारी अधिकारियों, उद्योगपतियों और उद्यमियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों से 50 से अधिक विभिन्न प्रकार की वित्त पोषित इकाइयों ने अपनी उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई, जो खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से संबंधित थीं। इस आयोजन का उद्देश्य सूक्ष्म उद्यमों को एक्सपोजर और बढ़ावा देना है, ताकि राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विस्तार हो और झारखंड आत्मनिर्भर बन सके। मंत्री ने बताया कि चालू वित्तीय साल में कोल्हान में 500 इकाइयां स्थापित की गई हैं। साथ ही 1638 PMFME लोन स्वीकृत किए गए हैं।
महोत्सव में प्रमुख अधिकारी और उद्योगपति उपस्थित रहे
इस उद्घाटन समारोह में जिला परिषद अध्यक्ष बारी मुर्मू, उद्योग सचिव अरवा राजकमल, सरायकेला खरसावां के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला, उद्योग विभाग के निदेशक सुशांत गौरव, उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम अनन्य मित्तल, उप विकास आयुक्त अनिकेत सचान, एसडीएम धालभूम शताब्दी मजूमदार और डीएम डीआईसी रविशंकर प्रसाद की भी उपस्थिति रही। इन अधिकारियों ने विभिन्न स्टॉल का निरीक्षण किया और उत्पादों की गुणवत्ता और प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली।
उद्यमियों के लिए वित्तीय सहायता और योजनाएं
इस महोत्सव में प्रदर्शन करने वाली इकाइयां विभिन्न प्रकार के खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों का निर्माण कर रही हैं, जिनमें डेयरी प्रसंस्करण, मिलेट्स (रागी), मशरूम, अनाज प्रसंस्करण और सीड केपिटल से संबंधित इकाइयां शामिल हैं। इसके अलावा, खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी उपकरणों का प्रदर्शन भी किया गया, जो उद्यमियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
मंत्री संजय प्रसाद यादव ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का उद्देश्य असंगठित रूप से कार्य कर रहे छोटे खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों को वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन देना है। इस योजना के तहत राज्य के छोटे और बड़े स्तर पर खाद्य पदार्थों का उत्पादन और पैकेजिंग करने वाली इकाइयों को परियोजना लागत का 35% तक पूंजीगत अनुदान दिया जाएगा, जो प्रति इकाई 10 लाख रुपये तक हो सकता है।
किसान उत्पादक संगठनों और सहकारी संस्थाओं को भी मिलेगा लाभ

मंत्री ने यह भी कहा कि इस योजना के तहत किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), किसान उत्पादक कंपनियों (FPCs), सहकारी संस्थाओं और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को परियोजना लागत का 35% तक अनुदान मिलेगा। इसके अलावा, छोटे खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए छोटे उपकरणों और वर्किंग कैपिटल के लिए भी पूंजी प्रदान की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत एसएचजी द्वारा खाद्य पदार्थों के प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए मानक गुणवत्ता के अनुरूप मदद दी जाएगी, ताकि उनके उत्पाद बाजार में प्रतिस्पर्धी बनें।
झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने का उद्देश्य
मंत्री संजय यादव ने यह भी अपील की कि राज्य में अधिक से अधिक संख्या में छोटे स्तर पर खाद्य पदार्थों का उत्पादन, पैकेजिंग और ब्रांडिंग की जाए, ताकि झारखंड आत्मनिर्भर बन सके। उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल झारखंड की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगी, बल्कि राज्य के उद्यमियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर भी प्रदान करेगी।
आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना और बैंकों से सहयोग

मंत्री ने आम जनता से अपील की कि वे इस योजना का लाभ लेने के लिए बैंकों के चक्कर न लगाएं। इसके बजाय, जिले के डीआरपी (डीएसआईडीसी) द्वारा उनके आवेदन भरने और बैंक में ऋण स्वीकृति में सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने बैंकों से भी आग्रह किया कि वे आवेदनों की जांच में देर न करें और अच्छे आवेदनों को जल्द से जल्द स्वीकार करें। इस पहल से अन्य उद्यमियों को भी योजना के प्रति विश्वास पैदा होगा और अधिक से अधिक लोग इस योजना से जुड़ने के बारे में सोचेंगे।
झारखंड की छवि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के केंद्र के रूप में बनेगी
मंत्री ने यह भी भरोसा जताया कि आने वाले दिनों में झारखंड में फूड प्रोसेसिंग उद्योग से अधिक से अधिक लोग जुड़ेंगे और राज्य की छवि न केवल भारी उद्योगों, बल्कि छोटे-छोटे खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के केंद्र के रूप में स्थापित होगी। उनका मानना है कि इस योजना से राज्य के विभिन्न जिलों में छोटे उद्यमियों को एक नए अवसर मिलेंगे और वे आत्मनिर्भर बनेंगे।
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