रांची : झारखंड राज्य की स्थापना के शुक्रवार 15 नवंबर, 2024 को 24 साल पूरे हो गए हैं। 15 नवंबर 2000 को जब राज्य के गठन की घोषणा हुई थी, तब से लेकर अब तक झारखंड ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। इस खास दिन को लेकर हर साल राज्य भर में भव्य आयोजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस बार चुनावी सरगर्मी के बीच झारखंड के स्थापना दिवस का उत्सव कुछ फीका हो सकता है।
झारखंड राज्य का गठन और इसका इतिहास
झारखंड का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ था, जब संसद ने बिहार पुनर्गठन विधेयक पारित करके 18 जिलों को अलग करके एक नए राज्य के रूप में झारखंड को अस्तित्व में लाया। इस दिन को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जो आदिवासी समाज के महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। झारखंड का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है ‘झार’, जिसका अर्थ होता है जंगल और ‘खंड’, जिसका अर्थ है भूमि। इस प्रकार झारखंड शब्द का कुल अर्थ हुआ ‘जंगलों की भूमि’।
राज्य गठन के साथ ही झारखंड ने अपनी पहचान बनानी शुरू की और आज यह राज्य अपनी सांस्कृतिक धरोहर, खनिज संसाधनों, और आदिवासी विरासत के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, झारखंड ने अपनी यात्रा में कई राजनीतिक उथल-पुथल देखे हैं, फिर भी यह राज्य अपने विकास के रास्ते पर अग्रसर है।
स्थापना दिवस का जश्न : इस बार कुछ खास नहीं
हर साल झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान और बिरसा संग्रहालय में भव्य कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इनमें राजकीय समारोह, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और राज्य सरकार द्वारा नई योजनाओं का ऐलान किया जाता है। विशेष रूप से मोरहाबादी मैदान में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और राज्यपाल आम जनता के बीच पहुंचते हैं और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाते हैं।
लेकिन इस बार, चुनावी माहौल के कारण झारखंड स्थापना दिवस का जश्न अपेक्षाकृत फीका रहा। राज्य में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के चलते आयोजनों की संख्या में कमी आई है और अधिकांश सरकारी कार्यक्रमों को स्थगित या संक्षिप्त किया गया है। मोरहाबादी मैदान और बिरसा संग्रहालय में पहले जैसी चहल-पहल नहीं दिखी, जो आम तौर पर इस दिन हुआ करती थी।
बिरसा संग्रहालय : एक ऐतिहासिक धरोहर
बिरसा संग्रहालय का भी स्थापना दिवस के मौके पर एक विशेष स्थान रहा है। यह संग्रहालय राज्य की आदिवासी संस्कृति, इतिहास और भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को प्रदर्शित करता है। करोड़ों की लागत से बने इस संग्रहालय में हर साल स्थापना दिवस के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रम होते थे, लेकिन इस बार चुनावी माहौल के कारण वहां कोई विशेष आयोजन नहीं किया गया है। फिर भी, लोग बिरसा मुंडा की याद में यहां आकर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आएंगे, जो इस दिन का सबसे बड़ा आकर्षण रहेगा।
झारखंड की विकास यात्रा
झारखंड के 24 साल के सफर में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। राज्य के गठन के बाद से ही यह विभिन्न राजनीतिक संघर्षों, सामाजिक आंदोलनों और विकास कार्यों का गवाह रहा है। इस दौरान राज्य ने अपनी खनिज संपदाओं और कृषि क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, हालांकि आदिवासी समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार की दिशा में और अधिक प्रयासों की आवश्यकता रही है।
आज झारखंड अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, खनिज संसाधनों, और आदिवासी समाज की विशिष्टता के लिए जाना जाता है। इस राज्य ने न केवल प्राकृतिक संसाधनों का समृद्ध दोहन किया है बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में भी कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। हालांकि, चुनावी माहौल के कारण इस बार स्थापना दिवस का उत्सव कुछ फीका रहा, लेकिन राज्य की यात्रा और विकास की दिशा को देखते हुए भविष्य में यह राज्य और भी बड़े और महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।