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देवरिया और कुशीनगर के डीएम व एसपी पर न्यायालय सख्त: 19 दिसंबर को व्यक्तिगत तौर पर किया तलब

उन्हें यह बताना होगा कि क्यों और किन परिस्थितियों में न्यायालय के आदेश का निष्पादन नहीं कराया जा सका। अदालत की सख्ती के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।

by Anurag Ranjan
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देवरिया : न्यायालय के आदेश की अवहेलना करना कुशीनगर और देवरिया जिलों के डीएम और एसपी को महंगा पड़ गया है। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश बद्री विशाल पांडेय ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए डीएम, एसपी कुशीनगर और देवरिया को 19 दिसंबर को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। उन्हें यह बताना होगा कि क्यों और किन परिस्थितियों में न्यायालय के आदेश का निष्पादन नहीं कराया जा सका। अदालत की सख्ती के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।

यह है पूरा मामला

प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय देवरिया ने कुशीनगर जिले के हाटा कोतवाली थाना क्षेत्र के महुंई निवासी वारंटी हरिवंश शर्मा पुत्र बेचू लाल शर्मा को गिरफ्तार कर उसकी संपत्ति कुर्क कर नीलाम कर छह लाख रुपए न्यायालय में जमा करने का आदेश दिया था। प्रभारी निरीक्षक हाटा की ओर से न तो वारंटी को गिरफ्तार किया गया और न ही उसकी संपत्ति ही कुर्क की गई। साथ ही कुर्की के आदेश पर यह रिपोर्ट प्रेषित कर दिया गया कि वारंटी मुंबई चला गया है।

डीएम व एसपी ने नहीं दिखाई आदेश अनुपालन में रुचि

प्रभारी निरीक्षक हाटा की कार्यशैली से नाराज होकर अदालत ने पुलिस अधीक्षक और डीएम कुशीनगर तथा डीएम और एसपी देवरिया को पत्र लिखकर मामले में आरोपित की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था। मामले में प्रकरण को उच्च न्यायालय ने शीघ्र निस्तारित करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद डीएम, एसपी कुशीनगर और देवरिया की ओर से इस मामले में रुचि नहीं ली गई।

अदालत ने कई बार अनुस्मारक पत्र भेजकर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। दोनों ही जनपदों के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध होकर अदालत ने यह आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा है कि कुशीनगर और देवरिया के डीएम, एसपी का यह आचरण मनमाने कृत्य एवं तानाशाही रवैया को दर्शाता है, जो किसी भी रूप में क्षम्य नहीं है।

अदालत में उपस्थित होकर बताना होगा कारण

अदालत ने ऐसी स्थिति में पुलिस अधीक्षक कुशीनगर और देवरिया और डीएम कुशीनगर और देवरिया 19 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर कारण बताने को कहा है कि क्यों और किन परिस्थितियों में उन्होंने न्यायालय की ओर से निर्गत कुर्की, वसूली तथा गिरफ्तारी वारंट का निष्पादन नहीं कराया।

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