रांची : झारखंड की हेमंत सोरेन कैबिनेट में जब पहली बार दीपिका पांडे सिंह मंत्री बनी, तो यह चर्चा तेज हो गई कि कृषि, पशुपालन सहकारिता विभाग एवं आपदा विभाग की कमान उन्हें यूं ही नहीं दी गई बल्कि लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कटने के बदले उन्हें भेंट स्वरूप दी गई। राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली दीपिका पांडे सिंह पहली बार 2019 में महगामा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीती थी।
इसी सीट पर उनके ससुर अवध बिहारी सिंह भी एकीकृत बिहार में चुनाव जीते थे। तेजतर्रार दीपिका सिंह विधायक बनने के बाद से ही अपने तेवर और अपने काम दोनों को ही लेकर सुर्खियों में रही है। दीपिका पांडे सिंह कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ भी मुखर रही है। हेमंत सोरेन सरकार जब मंत्रियों के नामों पर विचार कर रही थी, तब उन्होंने बिना किसी जल्दबाजी के शिथिल रहकर अपने क्षेत्र में काम किया और 11 मंत्रियों की सूची में टॉप पर पहुंची।
दीपिका पांडे सिंह: शैक्षणिक योग्यता
रांची के राजनीतिक परिवार में जन्मी दीपिका पांडे सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव भी रही है। उनकी मां प्रतिभा पांडे कांग्रेस की महिला शाखा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी है। अपनी स्कूली शिक्षा रांची से पूरी करने के बाद दीपिका पांडे सिंह ने 1994-97 में सेंट जेवयर्स, रांची से बायोलॉजी में ग्रेजुएशन और 1998-2000 में उन्होंने जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस,रांची से ही इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में एमबीए किया। इसके बाद साल 2008-11 के बीद उन्होंने जमशेदपुर के को-ऑपरेटिव कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की।
दीपिका पांडे सिंह: राजनीतिक करियर
राजनीतिक सफर की शुरूआत दीपिका पांडे सिंह ने कांग्रेस के यूथ विंग से की। कांग्रेस की युवा शाखा में वे युवा कांग्रेस की महासचिव के रूप में काम शुरू किया। बाद में वे राष्ट्रीय समिति में पदोन्नत करके युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव बनी। आगे चलकर साल 2014 में उन्हें झारखंड के गोड्डा, जिसकी आबादी 1.5 लाख के करीब है, को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई और उन्हें वहां की जिला कांग्रेस समिति का जिला अध्यक्ष बनाया गया। दीपिका पांडे सिंह ने भी कोयला क्षेत्र से परिपूर्ण इस जिले का पुनरूद्धार किया और 2018 में वो महिला कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव के रूप में शामिल हुई और उन्हें बिहार का प्रभारी नियुक्त किया गया।
सदन से सड़क तक मुद्दे उठाने में माहिर है दीपिका पांडे
जब वो जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनीं, तो गोड्डा के हर गांव में गई, वहां की समस्याएं समझी। रात-रात भर वो गोड्डा में बिताती और गांव-गांव, पांव पांव के अपने संकल्प को पूरा करती।जब गोड्डा के ईसीएम, लालमटिया के खदान में मजदूर की मौत हो गई, तो वो भी परिवार को न्याय दिलाने किए आमरण अनशन पर बैठी। 2017 में शराबबंदी के खिलाफ भी अभियान चलाने में उन्होंने महिलाओं का साथ दिया। ताजा मामला गुराज का है, जहां झारखंड की एक 10 साल की बच्ची के बलात्कार के मामले में वो पीडिता के परिवार से मिलने गुजरात पहुंच गई। वहां उन्होंने जांच की मांग की और पीड़ित परिवार को 4 लाख का चेक और 50 हजार इलाज के लिए तुरंत दिए।
2019 में रांची की बेटी ने संयुक्त उम्मीदवार (जेएमए, आईएनसी व आरजेडी) के तौर पर कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ा और 89,224 वोट हासिल कर बीजेपी के अशोक कुमार को 12,499 मतों से हराया। 2024 के विधानसभा चुनाव में भी दीपिका पांडे ने अशोक कुमार को 18,645 वोटों से पटखनी दी।
पारिवारिक जीवन
दीपिका पांडे सिंह के पति का नाम रत्नेश कुमार सिंह है, जो कि बिहार सरकार के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और झारखंड के महागामा से 4 बार विधायक रह चुके अवध बिहारी सिंह के बेटे है। विदेश से अपनी शिक्षा पूरी करने वाले रत्नेश कुमार सिंह टाटा समूह से जुड़े है। दीपिका पांडे सिंह और रत्नेश की दो बेटियां है। अपनी सफलता का क्रेडिट अपने पति को देते हुए दीपिका गाहे-बगाहे पति की तारीफ करने से नहीं चुकती है।