प्रयागराज : महाकुंभ भगदड़ में अब तक 30 लोगों की मौत हुई है। सरकार ने यह आंकड़ा जारी किया है। सरकार के निर्देश पर मेला प्रशासन ने भगदड़ में हुई मौत और घायलों का आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि इस भगदड़ में 30 लोगों की जान गई है। इनमें से 25 शवों की पहचान हो गई है। पांच शव की पहचान अभी नहीं हो पाई है। इनकी पहचान की कवायद जारी है। महाकुंभ मेले में डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि जब भगदड़ मची तो संगम तट पर जो लोग लेटे हुए थे। उनके ऊपर भीड़ चढ़ गई। इसके चलते अधिक मौतें हुई हैं। सरकार ने हेल्पलाइन नंबर 1920 जारी किया है। लोग इस नंबर पर डायल कर अपनों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
परिजनों को सौंप दिए गए हैं 20 शव

घटना के बाद प्रशासन ने सख्त निर्देश जारी कर दिया था कि बुधवार 29 जनवरी को कोई वीआईपी मूवमेंट नहीं होगा। अधिकारियों का कहना है कि संगम तट पर एक बैरीकेडिंग लगाई गई थी। अचानक यह बैरीकेडिंग टूट गई। इसकी वजह से लोग समझ नहीं पाए कि क्या हुआ और भगदड़ मच गई। यह घटना उस समय हुई जब संगम तट पर लोग मौनी अमावस्या के स्नान के लिए इंतजार कर रहे थे। भगदड़ में जो लोग मरे हैं उनमें से 20 शव उनके परिजनों को सौंपे जा चुके हैं। फिलहाल संगम तट पर सब कुछ नियंत्रण में है।
प्रयागराज जाने के सभी आठ एंट्री प्वाइंट बंद
भारी भीड़ को देखते हुए प्रयागराज में एंट्री करने वाले 8 प्वाइंट भदोही, चित्रकूट, कौशांबी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर और मिर्जापुर सीमा को सील कर दिया गया है। मेले के अंदर किसी भी तरह के वाहन के ले जाने पर पाबंदी लगाई गई है। जितने भी वाहनों को पास दिए गए थे। सभी को रद्द कर दिया गया है। प्रयागराज में भी चार पहिया वाहनों की एंट्री रोक लगा दी गई है। प्रशासन का कहना है कि यह रोक 4 फरवरी तक लागू रहेगी।
44 घाटों पर 10 करोड़ से अधिक लोगों ने लगाई डुबकी

प्रयागराज की तरफ जाने वाले रास्तों को वन वे कर दिया गया है। एक रास्ते से श्रद्धालुओं को स्नान कराने के लिए ले जाया जा रहा है। तो दूसरे रास्ते से उन्हें वापस भेजा जा रहा है। मेला प्रशासन ने जो आंकड़े बताए हैं उसके अनुसार संगम तट समेत प्रयागराज के सभी 44 घाटों पर बुधवार रात तक लगभग 10 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। महाकुंभ समेत पूरे शहर में सुरक्षा के लिए 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात कर दिए गए हैं।
बैरिकेडिंग टूटने से मची भगदड़
मेला प्रशासन ने बताया है कि भगदड़ की वजह क्या है। मेला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक अमृत स्नान होने की वजह से ज्यादातर पुल बंद कर दिए गए थे। इस वजह से संगम तट पर लाखों की भीड़ एकत्र हो गई थी। कुछ लोग बैरीकेडिंग पार करना चाहते थे। वह बैरीकेडिंग में फंस गए और गिर गए। बैरीकेडिंग टूट गई। इसी समय भगदड़ मच गई।
संगम नोज पर प्रवेश और निकास के नहीं थे अलग रास्ते
संगम नोज पर प्रवेश और निकास के अलग-अलग रास्ते नहीं बनाए गए थे। जिस रास्ते से श्रद्धालु आ रहे थे। उसी से उन्हें वापस भी जाना पड़ रहा था। ऐसे में जब भगदड़ मची तो लोगों को भागने का मौका नहीं मिला और लोग एक दूसरे के ऊपर गिरते चले गए।
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