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Godhra Incident : गोधरा कांड के 14 गवाहों की हटी सुरक्षा, तैनात किए गए थे 150 CISF जवान, जानिए पूरी कहानी

गवाहों की सुरक्षा हटाने के कदम के बाद कई सवाल उठ रहे हैं क्योंकि गवाहों की सुरक्षा में कटौती करने से उनके ऊपर संभावित खतरा और दबाव बढ़ सकता है।

by Rakesh Pandey
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गुजरात : गुजरात के गोधरा कांड (Godhra Case) के गवाहों की सुरक्षा हटा दी गई है। इस घटना से जुड़े गवाहों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा रही है। 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगने से 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इस आगजनी की घटना के बाद पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क उठे थे, जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। इस घटना ने न केवल गुजरात, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया था और इसकी गूंज आज तक सुनाई देती है।

एसआईटी की सिफारिशों पर सरकार ने लिया निर्णय

अब, केंद्र सरकार ने गोधरा कांड के 14 गवाहों की सुरक्षा हटाने का बड़ा कदम उठाया है। ये गवाह वे लोग थे, जिन्हें इस मामले में महत्वपूर्ण जानकारी रखने के कारण सुरक्षा दी जा रही थी। सुरक्षा में तैनात 150 सीआईएसएफ जवानों को अब इन गवाहों की सुरक्षा जिम्मेदारी से हटा लिया गया है। गृह मंत्रालय ने यह निर्णय जांच टीम, यानी एसआईटी की सिफारिशों के आधार पर लिया है। एसआईटी ने 10 नवंबर 2023 को अपनी रिपोर्ट में यह बताया था कि इन गवाहों की सुरक्षा अब हटा ली जानी चाहिए।

गवाहों की सुरक्षा अब राज्य की जिम्मेदारी

इस सुरक्षा हटाने के निर्णय के बाद अब गोधरा कांड से जुड़े इन गवाहों की सुरक्षा का जिम्मा पूरी तरह से राज्य सरकार या अन्य संबंधित अधिकारियों पर होगा। हालांकि, यह कदम कई सवालों को जन्म देता है, क्योंकि गवाहों की सुरक्षा में कटौती करने से उनके ऊपर संभावित खतरे और दबाव बढ़ सकते हैं।

गोधरा कांड और उसके बाद की हिंसा

गोधरा कांड एक ऐसा हादसा था, जिसने न केवल एक दिन, बल्कि पूरे गुजरात राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की एक बड़ी लहर को जन्म दिया। 27 फरवरी 2002 को हुई इस घटना में साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगा दी गई थी, जिसमें कारसेवक सवार थे। इस अग्निकांड में 58 लोग मारे गए थे। इस घटना के बाद राज्यभर में दंगे फैल गए, जिनमें हजारों लोग मारे गए और बड़ी मात्रा में संपत्ति का नुकसान हुआ। इसके बाद राज्य में सुरक्षा स्थिति को संभालने के लिए सेना को तैनात करना पड़ा था।

दंगे में 1044 लोगों की गई थी जान

इस घटना में 790 मुसलमानों और 254 हिंदुओं समेत कुल 1044 लोग अपनी जान गंवा बैठे थे। इसके अलावा, बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार और अत्याचार की घटनाएं भी सामने आईं। लूटपाट और संपत्तियों की तोड़फोड़ के साथ-साथ घरों और दुकानों को जलाने की खबरें भी आई थीं। पूरे राज्य में लगभग 2 लाख लोग विस्थापित हुए थे, और इनमें से कई लोग आज भी अपने घरों में वापस नहीं जा सके।

गोधरा कांड के बाद की सांप्रदायिक हिंसा और उसके असर को देखना और समझना किसी भी समाज के लिए एक कठोर पाठ था। यह घटना न केवल समाज में विभाजन का कारण बनी, बल्कि इसने देशभर में शांति और सहनशीलता की आवश्यकता को भी उजागर किया।

सुरक्षा हटाने के कदम पर उठ रहे सवाल

केंद्र सरकार द्वारा गोधरा कांड के 14 गवाहों से सुरक्षा हटाने के निर्णय को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इन गवाहों में कई महत्वपूर्ण व्यक्ति शामिल हैं, जो घटना के बारे में गवाही देने वाले थे। सुरक्षा हटाने के इस फैसले के बाद कई लोगों का मानना है कि गवाहों को अब अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए, क्योंकि उनकी जान को खतरा हो सकता है। यह कदम इस बात को भी उजागर करता है कि कांड के बाद से गवाहों और पीड़ितों को अपने जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ा है।

इन गवाहों की हटाई गई सुरक्षा

1-हबीब रसूल सय्यद
2-अमीनाबेन हबीब रसूल सय्यद
3-अकीलाबेन यासीनमिन
4-सैय्यद यूसुफ भाई
5-अब्दुलभाई मरियम अप्पा
6-याकूब भाई नूरान निशार
7-रजकभाई अख्तर हुसैन
8-नजीमभाई सत्तार भाई
9-माजिदभाई शेख यानुश महामद
10-हाजी मयुद्दीन
11-समसुद्दीन फरीदाबानू
12-समदुद्दीन मुस्तफा इस्माइल
13- मदीनाबीबी मुस्तफा
14-भाईलालभाई चंदूभाई राठवा।

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