भुवनेश्वर : श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) से यह अपील की है कि वह विदेशों में असामयिक (निर्धारित तिथि, मुहूर्त से अलग) रथ यात्रा का आयोजन न करें। इस अपील के बाद एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें इस्कॉन के वरिष्ठ अधिकारी और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के सदस्य शामिल हुए। यह बैठक भुवनेश्वर के स्टेट गेस्ट हाउस में हुई, जिसमें गजपति महाराज दिव्य सिंह देब की अगुवाई में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई।
क्या है विवाद?
साल 2021 में, इस्कॉन ने भारत में असामयिक रथ यात्रा के आयोजन को बंद करने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के लिए एसजेटीए ने इस्कॉन का आभार व्यक्त किया था, लेकिन अब उन्होंने विदेशों में भी इस तरह के आयोजनों को रोकने के लिए इस्कॉन से ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है। एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने स्पष्ट रूप से कहा, “हम इस निर्णय के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं, लेकिन अब हम उनसे यह सुनिश्चित करने को कह रहे हैं कि विदेशों में भी इस तरह के आयोजन न हों।”
रथ यात्रा की तिथि पर एकता की अपील
एसजेटीए के प्रमुख ने कहा कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा इस साल 27 जून को आयोजित होनी है, और उन्होंने इस्कॉन से अनुरोध किया है कि वह दुनिया भर में उसी दिन रथ यात्रा का आयोजन करें। उनका मानना है कि यदि दुनिया भर में विभिन्न धर्मों के त्योहार एक ही दिन मनाए जाते हैं, तो करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक रथ यात्रा भी पूरी दुनिया में एक ही दिन क्यों नहीं मनाया जा सकता।
इस्कॉन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं
मंदिर के सेवादारों और जगन्नाथ पंथ के अनुयायियों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस्कॉन ने भारत में तो असामयिक रथ यात्रा का आयोजन रोक दिया है, लेकिन विदेशों में इसके आयोजन को लेकर उन्होंने अभी तक कोई ठोस प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है। सेवादार गौरहरि प्रधान ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विदेशों में असामयिक रथ यात्रा का आयोजन न हो।
इस्कॉन के जिम्मेदारियों पर सवाल
पुरी निवासी हेक्टर मिश्रा ने भी इस पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “इस्कॉन पूरी दुनिया में मशहूर है, और उन्हें सोचना चाहिए कि विदेशों में बेमौसम रथ यात्रा का आयोजन कहां तक उचित है। यदि वे भगवान जगन्नाथ को अपना भगवान मानते हैं, तो उन्हें महाप्रभु की परंपराओं का पालन करना चाहिए।” मिश्रा ने यह भी कहा कि अगर इस्कॉन अपने आप को भगवान जगन्नाथ का भक्त मानता है, तो उसे उनकी परंपराओं का पालन करना चाहिए और असामयिक रथ यात्रा के आयोजन से बचना चाहिए।
केंद्र सरकार से भी की गई अपील
मिश्रा ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों को पत्र भेजकर यह सुनिश्चित करे कि उनके देशों में असामयिक रथ यात्रा का आयोजन न हो। उनका कहना था कि अगर इस्कॉन दुनिया भर में रथ यात्रा के आयोजनों को सही समय पर नहीं करता है, तो यह हिंदू धर्म और भगवान जगन्नाथ के प्रति अवमानना होगी।
इस्कॉन का विस्तार और धार्मिक विचारधारा
1966 में न्यूयॉर्क शहर में स्वामी प्रभुपाद द्वारा स्थापित इस्कॉन का आज पूरी दुनिया में व्यापक विस्तार हो चुका है। वर्तमान में इस्कॉन के 400 से अधिक मंदिर दुनियाभर में हैं। इस्कॉन गौड़ीय-वैष्णव संप्रदाय से संबंधित है, जो एकेश्वरवाद के सिद्धांतों को मानता है और श्रीमद्भागवतम और भगवद गीता पर आधारित है। भक्ति योग की यह परंपरा सिखाती है कि सभी जीवों का अंतिम उद्देश्य भगवान श्री कृष्ण के प्रति प्रेम को जागृत करना है।
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