RANCHI(JHARKHAND): सावन की दूसरी सोमवारी के मौके पर रांची के ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर में शिव भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अहले सुबह से ही श्रद्धालु बोल बम का जयघोष करते हुए भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए मंदिर प्रांगण पहुंचने लगे। श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की और अरघा सिस्टम से जलाभिषेक किया। इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में हर-हर महादेव गूंज उठा। स्वर्णरेखा नदी से जल उठाकर लोग पैदल चलते हुए पहाड़ी मंदिर पहुंचे और बाबा का जलाभिषेक किया।
पूरी होती है मनोकामनाएं
श्रद्धालुओं ने बताया कि पहाड़ी मंदिर आकर ऊर्जा मिलती है और इस पवित्र माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। श्रद्धालुओं ने जिला प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था की सराहना भी की। इस बार भक्तों की संख्या पिछले सोमवार की तुलना में अधिक देखी गई। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर रखी थी। मंदिर परिसर और इसके आसपास के इलाकों में सुरक्षा के मद्देनजर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है, ताकि किसी भी असामाजिक गतिविधि को रोका जा सके।

श्रद्धालुओं के लिए अलग इंतजाम
प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग मार्गों से प्रवेश और निकास की व्यवस्था की है, जिससे भक्तों को किसी भी तरह की असुविधा न हो। वहीं, मंदिर परिसर और उसके चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। जिनसे हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। ट्रैफिक व्यवस्था को भी सुचारू बनाए रखने के लिए विशेष पुलिस दल की तैनाती की गई है। जिससे आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
सोमवार को अरघा सिस्टम
सावन माह में सोमवार को पहाड़ी मंदिर में काफी संख्या में भक्त भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक के लिए आते हैं। सोमवार को अरघा सिस्टम के माध्यम से जलाभिषेक की व्यवस्था रहती है, जिससे लोग आसानी से पूजा कर सकें। सावन की दूसरी सोमवारी पर पहाड़ी मंदिर में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला, जहां भक्त शिव की आराधना में लीन नजर आए। वहीं नीचे के मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई।
त्रिशूल और डमरू की विशेष पूजा
महाकाल मंदिर परिसर में बाबा भोले के त्रिशूल और डमरू की विशेष पूजा की गई। ऐसी मान्यता है कि त्रिशूल और डमरू की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में ऊर्जा का संचार होता है। पुजारियों की माने तो प्रत्येक वर्ष सावनl में यहां विशेष पूजन होता है। भक्त दूर-दूर से आकर त्रिशूल और डमरू का स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह पूजा विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जो अपने जीवन में साहस, शांति और आध्यात्मिक बल की कामना करते हैं।