Jamshedpur (Jharkhand) : बिरसानगर थाना क्षेत्र के हुरलुंग गांव में सोमवार को अनुसूचित जनजाति वर्ग के रैयत किसान अपनी पीड़ा लेकर सड़कों पर उतर आए। उन्होंने टाटा पावर कंपनी पर उनकी उपजाऊ कृषि भूमि पर गैरकानूनी तरीके से फ्लाई ऐश (राख) डंप करने का गंभीर आरोप लगाया है। किसानों ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग करते हुए जिला उपायुक्त, अंचलाधिकारी और बिरसानगर थाना प्रभारी को लिखित शिकायत पत्र सौंपा है। हाथों में खेती के उपकरण लिए किसान इंसाफ की गुहार लगाने जिला मुख्यालय पहुंचे थे।

भू-माफियाओं से मिलीभगत का आरोप
किसानों ने अपनी शिकायत में कहा कि वे वर्षों से इस जमीन पर खेती करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। लेकिन हाल ही में, भू-माफियाओं के साथ मिलकर टाटा पावर कंपनी ने उनके खेतों में भारी मात्रा में फ्लाई ऐश डंप करवा दिया है, जिससे उनकी धान की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है। उन्होंने बताया कि बारिश के पानी के साथ फ्लाई ऐश पूरे खेत में फैल गई है और एक कठोर परत बना ली है, जिसके कारण खेत की उर्वरता समाप्त हो गई है और उनके सामने आजीविका का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग
पीड़ित किसानों ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि दोषी कंपनी टाटा पावर प्रबंधन और इस अवैध कार्य में शामिल भू-माफियाओं के खिलाफ अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत तत्काल प्राथमिकी दर्ज की जाए। इसके साथ ही, किसानों ने यह भी मांग की है कि खेतों से फ्लाई ऐश को तुरंत हटवाया जाए और उनकी भूमि को पहले की तरह उपजाऊ बनाया जाए। प्रभावित किसानों ने प्रशासन से उचित सरकारी मुआवजा और कंपनी स्तर से भी क्षतिपूर्ति दिलाने की गुहार लगाई है।
संवैधानिक अधिकारों पर हमला
किसानों का स्पष्ट कहना है कि यह मामला केवल उनकी खेती के नुकसान का नहीं है, बल्कि यह उनके संवैधानिक अधिकारों और उनकी पारंपरिक जीवनशैली पर सीधा हमला है। गांव के ग्राम प्रधान कपिल देव मुंडा और महेश्वर मुंडा ने भी प्रभावित किसानों का समर्थन करते हुए जिला प्रशासन से तुरंत इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने और उन्हें न्याय दिलाने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन द्वारा जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, तो गांव के सभी निवासी एक बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। पीड़ित किसानों ने अपनी शिकायत के साथ भूमि का विस्तृत विवरण, जिसमें खाता और प्लॉट संख्या शामिल है, और घटनास्थल की तस्वीरें भी प्रशासन को सबूत के तौर पर सौंपी हैं।