BOKARO : झारखंड के बोकारो जिला अंतर्गत कसमार प्रखंड में साइबर अपराधियों ने ठगी का अनोखा तरीका अपनाते हुए थाना प्रभारी भजनलाल महतो का फर्जी फेसबुक अकाउंट बना लिया। इसके बाद बगदा पंचायत के उपमुखिया वीरेंद्र करमाली को जाल में फंसाकर उनसे 40 हजार रुपये ठग लिए। ठगों ने थाना प्रभारी के नाम और तस्वीर का इस्तेमाल कर विश्वास दिलाया कि उनका एक सीआरपीएफ मित्र रांची से जमुई स्थानांतरित हो रहा है और घरेलू सामान जल्दबाजी में सस्ते दाम पर बेचना चाहता है।
उपमुखिया ने भी ठगों की बात पर भरोसा कर लिया। कुल 80 हजार रुपये में सौदा तय हुआ, जिसमें 40 हजार रुपये एडवांस के रूप में दो दिनों में अलग-अलग किस्तों में देने की बात हुई। विश्वास में आकर उपमुखिया ने राशि भेज दी, लेकिन जैसे ही पूरी रकम ठग के पास पहुंची, मोबाइल नंबर हमेशा के लिए बंद हो गया।
घरेलू सामान का लालच बना ठगी का हथियार
साइबर ठगों ने पूरी योजना बेहद चतुराई से तैयार की। सबसे पहले उन्होंने थाना प्रभारी का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर उपमुखिया से संपर्क किया और चैटिंग के बाद वाट्सएप कॉल किया। खुद को थाना प्रभारी बताते हुए कहा कि एक सीआरपीएफ का अधिकारी, जो उसका मित्र है, का तबादला हो गया है। उसके पास सोफा सेट, फ्रिज, डाइनिंग टेबल, अलमारी, टीवी और लैपटॉप जैसे महंगे घरेलू सामान हैं, जिन्हें मात्र 80 हजार रुपये में बेचना है। इस पर 40 हजार रुपये एडवांस देने की बात तय हुई।
झांसे में आकर उपमुखिया ने गुरुवार को दो बार में 10-10 हजार और शुक्रवार की सुबह दो बार में 10-10 हजार रुपये ठग के फोन पे नंबर 9251015602 पर भेज दिए। लेकिन भुगतान होते ही मोबाइल नंबर स्विचऑफ हो गया और ठगी की पूरी कहानी सामने आ गई। यह राशि ब्रीड टेक्नालॉजी प्राइवेट लिमिटेड नामक संस्था, जिसका खाता एसबीआई में है उसमें चला गया।
सिंहपुर पंसस बिनोद को भी मिला ठगों से ऑफर
कसमार थाना प्रभारी भजनलाल महतो के नाम से बनाए गए फर्जी फेसबुक अकाउंट से कसमार प्रखंड के सिंहपुर पंचायत के पंसस बिनोद कुमार महतो को भी 20 अगस्त को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी गई थी। लेकिन वे साइबर ठगों के चंगुल में नहीं फंसे। जिस तरह बगदा उपमुखिया को कम कीमत पर महंगा फर्नीचर खरीदने का झांसा देकर कसमार थाना प्रभारी की तस्वीर वाले फेसबुक अकाउंट से चैट आया था, उसी तरह पंसस बिनोद को भी ठगों ने मैसेज भेजा।
पंसस बिनोद ने बताया कि 20 अगस्त (बुधवार) को पुरुलिया जाने के दौरान अचानक उनके मोबाइल पर थाना प्रभारी के फर्जी फेसबुक अकाउंट से मैसेज आया। उसमें बताया गया कि सीआरपीएफ अधिकारी संतोष कुमार का तबादला हो गया है। उसके पास सोफा सेट, आलमारी, दीवान, वॉशिंग मशीन सहित कई घरेलू सामान सस्ते दामों पर बेचने के लिए उपलब्ध हैं। इसके बाद ठगों ने पंसस से उनका मोबाइल नंबर मांगा।
पंसस बिनोद ने चालाकी दिखाते हुए खुद का नंबर देने के बजाय कसमार थाना प्रभारी भजनलाल महतो का ही नंबर ठगों को दे दिया। इसके बाद ठगों की ओर से कोई संदेश नहीं आया और उनका मोबाइल स्विच ऑफ बताने लगा।
अधिकारियों के नाम पर बढ़ रही ठगी
यह घटना बोकारो जिले में तेजी से बढ़ रही साइबर ठगी की ताजा मिसाल है। हाल के दिनों में अपराधी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के नाम पर फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बना रहे हैं और लोगों से धन ऐंठ रहे हैं। मोबाइल कंपनियां भी कॉल के समय लगातार साइबर फ्रॉड से सावधान रहने की चेतावनी देती हैं, फिर भी लोग लालच और भरोसे में आकर जाल में फंस जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर प्राप्त किसी भी ऑफर या संदेश की पहले पुष्टि करना जरूरी है, अन्यथा ठग किसी का भी आर्थिक नुकसान कर सकते हैं। विदित हो कि अकेले बोकारो डीसी का पांच बार फेक एकाउंट बन चुका है।
थाना प्रभारी की तस्वीर और नाम देखकर उन्हें कोई शक नहीं हुआ। ठग ने कई बार कॉल कर बातचीत की, जिससे विश्वास और गहरा हुआ। लेकिन जैसे ही 40 हजार रुपये ट्रांसफर किए, नंबर बंद हो गया। इसके बाद उन्होंने थाना प्रभारी को सूचित किया हूं।
वीरेंद्र करमाली , उपमुखिया
कोई भी सीआरपीएफ मित्र संतोष नाम का नहीं है। यह ठगों द्वारा बनाई गई पूरी कहानी है। जैसे ही उनके फर्जी फेसबुक अकाउंट से लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट आने की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत साइबर सेल को सूचना देकर आईडी बंद करवा दी। लोगों से अपील है कि ऐसे किसी भी संदेश या कॉल पर भरोसा न करें और तुरंत पुलिस को सूचना दें।
भजनलाल महतो, कसमार थाना प्रभारी