नई दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के तीन वुशू खिलाड़ियों को लेकर एक बार फिर से भारत और चीन आमने-सामने हैं। मामला चीन के चेंगदू में आयोजित होने वाले एफआईएसयू (फेडरेशन इंटरनेशल डू स्पोर्ट यूनिवर्सिटी) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स से जुड़ा हुआ है। प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए भारत की तरफ से अरुणाचल प्रदेश के तीन वुशू खिलाड़ियों का चयन किया गया था।
चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तीन वूशु खिलाड़ियों के लिए जारी किया नत्थी वीजा :
पहले तो चीन इन खिलाड़ियों को वीजा जारी नहीं कर रहा था,लेकिन काफी समय तक टालमटोल के बाद चीन ने बुधवार को इनके लिए नत्थी वीजा जारी किया। भारत ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए पूरी टीम ही चेंगदू भेजने से रोक दिया है।
एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) की वूशु टीम के अन्य पांच सदस्य 28 जुलाई से शुरू हो रहे खेलों के लिए रवाना होने देर रात दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। पर वह जहाज पर सवार नहीं हुए। मिली जानकारी के अनुसार उच्च स्तर पर हुए फैसले के बाद उन्हें वापस जाने के लिए कह दिया गया। चलिए इस विवाद के बीच आप को बताते हैं कि नत्थी वीजा है क्या, इसे लेकर क्यों भारत और चीन आमने-सामने हैं।
पहले जानिए क्या होता है वीजा :
अगर वीजा की बात करें तो इसका सीधा मतलब किसी दूसरे देश के नागरिक को किसी अन्य देश में प्रवेश से जुड़ा है। जब किसी देश का नागरिक किसी अन्य देश की यात्रा करना चाहता है तो उस देश से अनुमति लेनी पड़ती है, जिसे वीजा कहते हैं। यानी वीजा किसी अन्य देश में प्रवेश पाने की अनुमति होती है।
वीजा के भी कई प्रकार हैं। इसी में से एक है नत्थी वीजा। अगर किसी दूसरे देश के शख्स को भारत आना होता है तो यहां कई तरह के वीजा जारी किए जाते हैं, जिसमें टूरिस्ट वीजा, बिजनेस वीजा, ट्रांसिट वीजा, जर्नलिस्ट वीजा, एंट्री वीजा, ऑन अराइवल वीजा, पार्टनर वीजा शामिल हैं।
जैसे अगर कोई विदेशी टूरिस्ट भारत की खूबसूरती देखने के लिए यहां आता है, तो उन्हें टूरिस्ट वीजा दिया जाता है। इसी तरह हर देश के अलग-अलग तरह का वीजा हैं और उनके अलग-अलग नियम-कानून हैं।
क्या होता है नत्थी वीजा :
अगर नत्थी वीजा की बात करें तो इसमें पासपोर्ट के साथ एक कागज को जोड़ा जाता है, जिसमें यात्रा का विवरण होता है, उसे नत्थी या स्टेपल किया जाता है। स्टेपल का हिंदी अर्थ नत्थी है। इसी लिए इसे नत्थी वीजा कहा जाता है। चीन की ओर से कई तरह के वीजा के साथ-साथ नत्थी वीजा भी जारी किया जाता है।
इस प्रकार के वीजा में इमिग्रेशन ऑफिसर आपके पासपोर्ट पर स्टाम्प नहीं लगाता, बल्कि अलग से एक कागज या पर्ची को आपके पासपोर्ट के साथ स्टेपल (नत्थी) कर देता है। स्टाम्प आमतौर पर यह बताता है कि आप उनके देश किस उद्देश्य से जा रहे हैं। नत्थी वीजा में आपके द्वारा उस देश की यात्रा करने का उद्देश्य एक कागज पर लिखा होता है। जिसे बाद में अलग किया जा सकता है।
जानिए इसके पीछे क्या है चीन की मानसिकता :
चीन भारत के अन्य राज्यों के लिए सामान्य वीजा जारी करता है, जिस पर स्टाम्प लगाया जाता है। अरुणाचल व जम्मू कश्मीर के लिए वह नत्थी वीजा ही जारी करता है। चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है और तिब्बत पर चीन का अधिकार है। ऐसे में अरुणाचल प्रदेश को भारत की जगह अपने देश का हिस्सा मानता है,इसी लिए वह स्टेपल वीजा जारी कर रहा है।
चीन का मानना है कि अरुणाचल प्रदेश उनका हिस्सा है, यहां के नागरिकों को ‘अपने देश’ की यात्रा के लिए वीजा की कोई जरूरत नहीं है। उसका कहना है कि अरुणाचल का क्षेत्र फिलहाल भारत के कब्जे में है, इसलिए वहां के लोगों के लिए नत्थी वीजा या स्टेपल्ड वीजा जारी किया जाता है।
जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए नत्थी वीजा जारी करने का यह है तर्क:
अगर जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए नत्थी वीजा जारी करने की बात करें तो यहां चीन का तर्क अरुणाचल प्रदेश से बिल्कुल अलग है। चीनी का कहना है कि भारत जम्मू-कश्मीर के लोगों की विदेशी यात्राओं पर नजर रखती है। ऐसे में पासपोर्ट चेक करने पर पता चल जाएगा कि आपने चीन की यात्रा कब-कब की और आपको यात्रा का कारण बताने के लिए वह बाध्य कर सकती है।
इसलिए चीनी सरकार पासपोर्ट पर स्टाम्प न लगाकर जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए नत्थी वीजा जारी करता है । यह दोनों मामले चीन के घृणित मानसिकता के प्रमाण हैं। भारत की एकता और अखंडता को चुनौती देने वाले हैं।
यह है पूरा मामला :
चीन के चेंगजू शहर में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स होने जा रहा है। वुशू टूर्नामेंट में शिरकत करने के लिए भारत की तरफ से 12 लोगों की टीम चीन जाने वाली थी। इसमें आठ खिलाड़ी के अलावा एक कोच और तीन स्टाफ शामिल थे। इस टीम में अरुणाचल प्रदेश के तीन खिलाड़ी नैयमन वांग्सू, ओनिलू तेगा और मेपुंग लामगू शामिल थे।
सभी ने वीजा के लिए 16 जुलाई को आवेदन दिया गया था। चीन ने बाकी खिलाड़ियों के लिए समय पर वीजा जारी कर दिया, लेकिन अरुणाचल के तीनों खिलाड़ियों के दस्तावेज चीनी दूतावास ने स्वीकार नहीं किए। तीनों खिलाड़ियों को मंगलवार को दोबारा दस्तावेज दाखिल करने के लिए कहा गया।
इसके बाद दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने उनके पासपोर्ट बुधवार को नत्थी वीजा के साथ वापस कर दिया। जब केंद्र सरकार को इसकी जानकारी हुई तो उसने पूरी वुशू टीम को रोकते हुए रात ढ़ाई बजे दिल्ली एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया गया। हालांकि, बाकी खेलों के भारतीय खिलाड़ी चीन के लिए रवाना हो गए हैं।
नागरिकों को नत्थी वीजा जारी करने का भारत करता है विरोध
अगर नत्थी वीजा की बात करें तो चीन ने इसकी शुरुआत 2000 के दशक में अरुणाचल के लोगों के लिए की थी। इसके बाद चीन की तरफ से भारत के नॉर्थ ईस्ट राज्यों के लोगों को कई बार यह वीजा जारी किया गया। जिसपर भारत ने हर बार आपत्ति जताई और इसके जवाब में भारत ने ‘वन चाइना पॉलिसी’ का समर्थन करना भी छोड़ दिया है।
भारत चीन की इस नीति का हमेशा से विरोध करता रहा है। अरुणाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर को लेकर चीन का रवैया हमेशा भारत परेशान करने वाला रहा है।
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