Home » ‘Iron Man Robot’ : दिव्यांगों के लिए एक नया युग, साउथ कोरिया ने लॉन्च किया Wearable रोबोट

‘Iron Man Robot’ : दिव्यांगों के लिए एक नया युग, साउथ कोरिया ने लॉन्च किया Wearable रोबोट

by Rakesh Pandey
'Iron Man Robot'
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

नई दिल्ली: दुनिया भर में तकनीकी प्रगति रोज नई-नई ऊंचाइयों तक पहुंच रही है और अब साउथ कोरिया ने एक ऐसा अविष्कार किया है जो दिव्यांगों के जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है। साउथ कोरिया के प्रतिष्ठित कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (KAIST) के रिसर्चर्स ने एक अभिनव ‘वियरेबल रोबोट’ (Wearable Robot) विकसित किया है, जिसका नाम है WalkON Suit F1। इस रोबोट को खासतौर पर लकवाग्रस्त और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि वे बिना किसी सहारे के स्वतंत्र रूप से चल सकें और अपनी जिंदगी को पहले से कहीं बेहतर तरीके से जी सकें।

वियरेबल रोबोट: दिव्यांगों के लिए नया आशा का संकेत

यह वियरेबल रोबोट दिव्यांग व्यक्तियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अब वे व्हीलचेयर पर बैठने के बजाय इस रोबोट को पहनकर न केवल चल सकते हैं, बल्कि सीढ़ियों पर चढ़ने में भी सक्षम हो सकते हैं। इस रोबोट की एक खासियत यह है कि यह दिव्यांग व्यक्ति के पास खुद चलकर आता है, ताकि उसे मदद की आवश्यकता न हो। बस इसे पहनने के लिए व्यक्ति को व्हीलचेयर से बाहर निकलने की जरूरत नहीं होती।

यह WalkON Suit F1 एक प्रकार का एक्सोस्केलेटन है, जिसे KAIST की टीम ने पूरी तरह से दिव्यांगों की डेली लाइफ को आसान बनाने के उद्देश्य से डिजाइन किया है। इस रोबोट को पहनने के बाद व्यक्ति 3.2 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकता है, जो दिव्यांगों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके अलावा, इसका विशेष कैमरा सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति बिना किसी रुकावट के सीढ़ियों पर चढ़ सके या किसी भी रुकावट से बच सके।

रोबोट के निर्माण में प्रमुख पहलू

WalkON Suit F1 का निर्माण एल्यूमीनियम और टाइटेनियम के संयोजन से किया गया है। इसका कुल वजन 50 किलोग्राम है और इसमें 12 इलेक्ट्रॉनिक मोटर्स का उपयोग किया गया है, जो शरीर के बनावटी जोड़ों की तरह कार्य करते हैं। इन मोटर्स की मदद से यह रोबोट शरीर के सामान्य गतिशीलता की नकल करता है और उपयोगकर्ता को चलने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।

आयरनमैन से प्रेरित: एक सुपरहीरो की तरह

KAIST टीम के सदस्य पार्क जियोंग-सू ने इस रोबोट के निर्माण में एक दिलचस्प पहलू का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि उन्हें लोकप्रिय फिल्म Iron Man से प्रेरणा मिली। वह चाहते थे कि इस तरह के रोबोट के जरिए वह लोगों की मदद कर सकें। उन्होंने बताया कि इस रोबोट के सामने एक कैमरा लगा हुआ है, जो दिव्यांग लोगों की सेंसर एबिलिटीज़ की कमी को पूरा करता है। उदाहरण के लिए, यह कैमरा सीढ़ियों की ऊंचाई या रास्ते में आने वाली किसी भी रुकावट को पहचान सकता है, जिससे उपयोगकर्ता की मदद होती है।

साइबाथलॉन में रोबोट की सफलता

साइबाथलॉन (Cybathlon) 2024 में इस WalkON Suit F1 को पहनकर किम सेउंग-ह्वान ने एक्सोस्केलेटन कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता। यह प्रतियोगिता शारीरिक अक्षमताओं वाले व्यक्तियों के लिए आयोजित की गई थी, जिसमें दुनिया भर के डेवलपर्स ने सहायक रोबोट प्रस्तुत किए। किम सेउंग-ह्वान, जो खुद पैराप्लेजिक हैं, ने इस रोबोट का उपयोग करके अपना जीवन बदलते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया। किम ने बताया, “मैं चाहता था कि मेरे बेटे को भी यह समझ में आए कि मैं चलने में सक्षम था और मैं उसे अपने अनुभवों के बारे में बता सकूं।”

नए युग की शुरुआत: दिव्यांगों के लिए एक नई उम्मीद

इस अविष्कार ने दिव्यांगों के जीवन में एक नई उम्मीद की किरण जगाई है। अब वे पहले से कहीं अधिक आत्मनिर्भर हो सकते हैं और अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दे सकते हैं। WalkON Suit F1 जैसी तकनीकें न केवल शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए मददगार साबित हो रही हैं, बल्कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। यह तकनीक साबित करती है कि सच्ची समावेशिता केवल शारीरिक मदद से नहीं, बल्कि तकनीकी विकास के जरिए भी संभव है।

साउथ कोरिया का WalkON Suit F1 वियरेबल रोबोट दिव्यांगों के लिए एक बड़ी क्रांति है। यह न केवल उनके लिए चलने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, बल्कि उन्हें अपने जीवन को एक नई दिशा देने की क्षमता भी देता है। आयरनमैन की तरह यह रोबोट अब रियलिटी में बदल चुका है, और इसका उपयोग दिव्यांगों के जीवन में बदलाव ला सकता है।

Read Also- अरविंद केजरीवाल ने किया बड़ा दावा : ‘प्रवेश वर्मा को सीएम चेहरा घोषित करने जा रही है BJP’

Related Articles