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राजौरी में सेना पर आरोप, दिल्ली के प्रोफेसर लियाकत अली के साथ मारपीट की घटना पर जांच शुरू

अली का दावा है कि वे अपनी पहचान दिखाने के लिए जैसे ही गाड़ी से बाहर निकले, सेना के जवानों ने उन्हें हथियार से मारा, जिससे उनके सिर पर गंभीर चोटें आईं।

by Reeta Rai Sagar
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जम्मू : जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पर सेना के जवानों द्वारा मारपीट किए जाने का मामला सामने आया है। दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) के प्रोफेसर लियाकत अली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट साझा करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी कारण के सेना के जवानों ने पीटा।

घटना का विवरण

प्रोफेसर लियाकत अली और उनके परिवार के सदस्य, जिनमें उनके छोटे भाई भी शामिल थे, एक पारिवारिक समारोह में भाग लेने के बाद कल रात कालाकोट लौट रहे थे। रास्ते में सीमावर्ती गांव लाम के पास उनकी गाड़ी को सेना के जवानों ने रोका। अली का दावा है कि वे अपनी पहचान दिखाने के लिए जैसे ही गाड़ी से बाहर निकले, सेना के जवानों ने उन्हें हथियार से मारा, जिससे उनके सिर पर गंभीर चोटें आईं। अली के छोटे भाई, जो ITBP में तैनात हैं, को भी इस घटना में चोटें आईं।

सेना की प्रतिक्रिया

भारतीय सेना ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है। सेना के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि इस क्षेत्र में आतंकवादियों की गतिविधियों की सूचना मिली थी, जिसके बाद तलाशी अभियान चलाया जा रहा था। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, जब गाड़ी को रोका गया, तो प्रोफेसर अली ने सेना के जवानों से हथियार छीनने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप हाथापाई हुई। हालांकि, सेना ने इस घटना की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।

पुलिस में शिकायत

राजौरी के नौशेरा पुलिस स्टेशन में अज्ञात सेना कर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 126(2) (गलत तरीके से रोकने) और 115(2) (जान-बूझकर चोट पहुंचाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्रोफेसर अली ने सरकारी मेडिकल कॉलेज जम्मू में इलाज कराया, जहां उनके सिर पर लगभग आधे दर्जन टांके लगाए गए।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सेना से इस ‘चौंकाने वाली घटना’ के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल और कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र रैना ने प्रोफेसर अली को न्याय का आश्वासन देते हुए कहा कि ‘कानून सर्वोपरि है और भारत में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है’।

यह घटना सेना और नागरिकों के बीच विश्वास की परीक्षा है। सेना ने अपनी छवि को बनाए रखने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच का आश्वासन दिया है।

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