रांची : राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में व्यवस्था सुधारने को लेकर प्रबंधन सख्त हो गया है। सोमवार को प्रबंधन एक्शन मोड में नजर आया। कैंपस में लगने वाले प्राइवेट एंबुलेंस वालों को बाहर का रास्ता दिखाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई। ट्रैफिक डीएसपी के नेतृत्व में तीन दर्जन से अधिक प्राइवेट एंबुलेंस को व्हील लॉक कर दिया गया है। उसमें से कई एंबुलेंस को जब्त कर बरियातू थाने ले जाया गया है। हालांकि एस एक्शन से एंबुलेंस संचालकों में आक्रोश है।
उनका कहना है कि प्रबंधन ने उन्हें कोई सूचना नहीं दी। सोमवार को अचानक से कार्रवाई शुरू कर दी गई। बता दें कि द फोटोन न्यूज में इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसमें रिम्स से प्राइवेट एंबुलेंस वालों को जल्द दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता शीर्षक से खबर को प्रकाशित किया था।
72 घंटे में मांगी थी डिटेल
सैंकड़ों प्राइवेट एंबुलेंस वालों पर कार्रवाई की तैयारी है। बता दें कि पिछले दिनों अस्पताल प्रबंधन ने प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों को नोटिस जारी कर 72 घंटे में पूरी डिटेल जमा करने का आदेश दिया था। लेकिन दो हफ्ते का समय बीत जाने के बाद भी किसी भी प्राइवेट एंबुलेंस वाले ने प्रबंधन को जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। नोटिस के तहत एंबुलेंस का पूर्ण विवरण निबंधन संख्या साक्ष्य सहित, एम्बुलेंस का मॉडल नाम, मालिक का नाम, चालक का नाम, लाइसेंस और मोबाइल नंबर अपर चिकित्सा अधीक्षक रिम्स रांची के कार्यालय में जमा करने का निर्देश दिया गया था।
रिम्स स्टाफ के चल रहे एंबुलेंस
हॉस्पिटल कैंपस में सैंकड़ों प्राइवेट एंबुलेंस का जमावड़ा हर दिन लगा रहता है। सुबह से लेकर रात तक यह एंबुलेंस वाले मरीजों को लाने ले जाने का काम करते हैं। इनकी मनमानी से मरीज भी परेशान है। वहीं हॉस्पिटल कैंपस को पार्किंग बना दिए जाने से ये लोग प्रबंधन के लिए सर दर्द बने हुए हैं। इन प्राइवेट एंबुलेंस में कई एंबुलेंस ऐसे हैं जो रिम्स में काम करने वाले कर्मियों और उनके परिजनों के नाम पर हैं।
प्राइवेट एंबुलेंस चालकों ने प्रबंधन पर लगाया आरोप
हॉस्पिटल कैंपस में प्राइवेट एंबुलेंस पर कार्रवाई के बाद संचालकों ने कहा कि प्रबंधन उनके साथ भेदभाव कर रहा है। हमलोग डेली कमाने खाने वाले लोग है। लेकिन प्रबंधन को हमलोगों से ही परेशानी है। हॉस्पिटल में कोई घटना हो जाए तो प्राइवेंट एंबुलेंस वालों से पूछताछ होती है। जबकि हॉस्पिटल के फोर्थ ग्रेड स्टाफ ही मरीजों के साथ ज्यादा पैसे में एंबुलेंस की डील करते है। हमें कम पैसे देते है और बदनामी भी हमारी होती है। प्रबंधन को अपने स्टाफ पर कोई कार्रवाई नहीं करनी है।