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Jharkhand News : मृत शिक्षक के खाते से 54 लाख के भुगतान पर कार्रवाई : लिपिक सस्पेंड, डीईओ के खिलाफ जांच जारी

by Rakesh Pandey
jharkhand news
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खूंटी : झारखंड के खूंटी जिले में शिक्षा विभाग में गंभीर वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। मृत शिक्षक के खाते में 54 लाख रुपये से अधिक का अवैध भुगतान किए जाने के मामले में शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए लिपिक चक्रधारी बड़ाईक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। वहीं, जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) अपरूपा पाल चौधरी के खिलाफ जांच की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

54 लाख से अधिक की राशि मृत शिक्षक के नाम भुगतान – Jharkhand Education Scam

शिक्षा विभाग के अनुसार, स्व. फांसिस टोपनो, जो कि एसपीजी मध्य विद्यालय, तांबा रनिया में पदस्थापित थे और जिनका निधन 28 अप्रैल 2020 को हो गया था, उनके नाम पर जुलाई 2011 से मार्च 2020 तक की ₹54,22,377 की अवरुद्ध वेतन राशि का भुगतान किया गया। इस भुगतान में गंभीर लापरवाही और दस्तावेजों की जांच में चूक पाई गई।

लिपिक चक्रधारी बड़ाईक सस्पेंड – Clerk Suspended for Financial Misconduct

संयुक्त सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, लिपिक चक्रधारी बड़ाईक को झारखंड सरकारी सेवक नियमावली 2016 के तहत निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में उन्हें लोहरदगा मुख्यालय में पदस्थापित किया गया है, जहां वे जीवन निर्वाह भत्ता के पात्र रहेंगे।

डीईओ के खिलाफ जांच जारी – DEO Under Investigation for Negligence

डीईओ अपरूपा पाल चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने न केवल दस्तावेजों की जांच में लापरवाही की, बल्कि मार्च 2015 से अक्टूबर 2015 तक दो बार वेतन भुगतान जैसे मामलों को भी नजरअंदाज किया। उनके खिलाफ पीएमश्री योजना में भी अनियमितताओं की जांच चल रही है।

कौन हैं जांच अधिकारी – Departmental Inquiry Panel Appointed

राज्य सरकार ने इस मामले में गहन जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त किया है:

गणेश कुमार, सेवानिवृत्त आईएएस – जांच पदाधिकारी

अरशद जमाल, अवर सचिव, स्कूली शिक्षा विभाग – सहायक जांच पदाधिकारी

इन अधिकारियों की जांच में वित्तीय गड़बड़ियों की पुष्टि हुई, जिसके आधार पर अनुशासनात्मक समिति गठित कर दी गई है।

समाजसेवी के प्रयास से खुला मामला – Role of Whistleblower in Exposing Scam

यह पूरा मामला पूर्व झाविमो जिला अध्यक्ष सह समाजसेवी दिलीप मिश्रा द्वारा उठाए गए बिंदुओं के आधार पर संज्ञान में आया। उन्होंने सरकार को अलर्ट किया, जिसके बाद कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग द्वारा 6 मई 2024 को ज्ञापन संख्या 3111 के तहत जांच आदेश जारी किया गया।

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