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Aditya L-1 हुआ Launch: भारत का पहला सूर्य मिशन, जानिए क्यों खास

by Rakesh Pandey
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बेंगलुरू: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सूर्य मिशन आदित्य-एल1 शनिवार को लॉन्च कर दिया। अपने निर्धारित समय पर सुबह 11.50 बजे यह मिशन आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। यह पूरी तरह सफल रहा। इसरो की ओर से Aditya L-1 की लॉन्चिंग दुनिया को दिखाने के लिए खास इंतजाम किए। संस्थान ने अपनी वेबसाइट पर आदित्य एल-1 के लॉन्च को श्रीहरिकोटा स्थित केंद्र से सीधा दर्शकों को दिखाने के लिए व्यू गैलरी की सीटें बुक करने का विकल्प दिया था। हालांकि, इसके लिए सीमित सीटें ही थीं, जो कि रजिस्ट्रेशन शुरू होने के बाद ही भर गईं। इतना ही नहीं इसरो की वेबसाइट isro.gov.in पर जाकर दर्शकों ने आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग का सीधा प्रसारण देखा।पल-पल के अपडेट्स दिए गए। इसरो के वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर भी लॉन्च को लाइव स्ट्रीम की गई।

जानिए क्या है Aditya L-1 क्या है?

Aditya L-1 सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। दरअसल, लैग्रेंजियन बिंदु वे हैं जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं। इस वजह से एल1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ने के लिए किया जा सकता है।

Aditya L-1 का उद्देश्य क्या है?

इस अंतरिक्ष यान को सूर्य की बाहरी परतों (कोरोना) का ऑब्जर्वेशन और सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज बिंदु (L1) पर सौर वायु के यथास्थिति ऑब्जर्वेशन के लिए तैयार किया गया है। एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। यह सूर्य के ऑब्जर्वेशन के लिए पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा। आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है।

 

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Aditya L-1 से क्या फायदा होगा

इसरो के मुताबिक, सूर्य हमारे सबसे करीब मौजूद तारा है। यह तारों के अध्ययन में हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है। इससे मिली जानकारियां दूसरे तारों, हमारी आकाश गंगा और खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में मदद करेंगी। हमारी पृथ्वी से सूर्य करीब 15 करोड़ किमी दूर है। आदित्य एल1 वैसे तो इस दूरी का महज एक प्रतिशत ही तय कर रहा है, लेकिन इतनी सी दूरी तय करके भी यह सूर्य के बारे में हमें ऐसी कई हम व रोचक जानकारियां देगा, जो पृथ्वी से पता करना संभव नहीं है।

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