पटना : बिहार में हुए बड़े प्रशासनिक फेरबदल ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक ढांचे में हलचल मचा दी है। राज्य सरकार ने विकास आयुक्त चैतन्य प्रसाद को मुख्य जांच आयुक्त के पद पर नियुक्त किया है। उनके स्थान पर स्वास्थ्य विभाग से हटाकर प्रत्यय अमृत को नया विकास आयुक्त नियुक्त किया है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं और इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बिहार के गृह विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में मिहिर कुमार सिंह को अगले आदेश तक अपर मुख्य सचिव पथ निर्माण विभाग का कार्यभार सौंपा गया है। इसके साथ ही नंदेश्वर लाल को प्रधान सचिव खान भूतत्व के पद पर नियुक्त किया गया है, जबकि श्रीदेवेश सेहरा को सचिव पंचायती राज के पद पर भेजा गया है। पथ निर्माण विभाग के सचिव कार्तिकेय धनजी को अतिरिक्त गन्ना विभाग का प्रभार भी दिया गया है।
इस प्रशासनिक फेरबदल की पृष्ठभूमि में पिछले कुछ महीनों में लगातार हो रहे आईएएस अधिकारियों के तबादले शामिल हैं। केवल दो दिन पहले रविवार को, राज्य के 18 अधिकारियों का तबादला किया गया था। इसके अलावा 4 आईएएस अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। बताया जा रहा है कि 22 अधिकारी ट्रेनिंग के लिए मसूरी जाने वाले हैं और 2 अधिकारी झारखंड और महाराष्ट्र में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए भेजे गए हैं।
राज्य के राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह फेरबदल उपचुनावों के मद्देनजर किया गया है। कई अधिकारियों का मानना है कि सरकार अधिकारियों को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार विभाग आवंटित कर रही है, जिससे प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
इस फेरबदल से यह स्पष्ट होता है कि सरकार अपने प्रशासनिक ढांचे को चुनावी रणनीति के अनुसार पुनर्गठित कर रही है। इससे पहले भी कई बार चुनावों के समय ऐसे फेरबदल किए गए हैं, ताकि प्रशासन को चुनावी प्रक्रिया के दौरान सक्रिय और प्रभावशाली बनाया जा सके।
बिहार में प्रशासनिक फेरबदल की इस लहर ने आईएएस अधिकारियों के बीच चर्चा को बढ़ा दिया है, और कई लोग इसकी संभावित प्रभावशीलता और उद्देश्यों पर प्रश्न उठा रहे हैं। इस स्थिति को लेकर प्रशासनिक अधिकारी चिंतित हैं, क्योंकि यह उनके कार्यकाल और निर्णय लेने की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।
राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए इस तरह के फेरबदल जरूरी हैं, लेकिन इसे चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है या वास्तव में प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। ऐसे में बिहार की राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति पर निगाह रखना आवश्यक है।
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