सेंट्रल डेस्क: Delhi Assembly Election 2025: भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले 26 वर्षों से हर चुनाव भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए सत्ता में पुनः वापसी करने की कठिन यात्रा रही है, इस यात्रा में अब नया पड़ाव आया है और बीजेपी को सफलता मिल गई है। 1993 में आखिरी बार BJP ने दिल्ली में सरकार बनाई थी। BJP के लिए लंबे समय से चल रही इस कठिन प्रतीक्षा के बाद, 2025 के चुनावों में पार्टी ने एक मजबूत वापसी की है, बल्कि अपने चार महत्वपूर्ण कारकों का इस्तेमाल किया—महिला (महिला मतदाता), मध्यमवर्ग, MCD चुनाव, और शीश महल विवाद—जिन्होंने 2025 में पार्टी के वोट शेयर को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
पार्टी मुख्यालय पहुंचे समर्थक, जमकर मनाया जश्न
27 साल बाद दिल्ली में दूसरी बार जीत हासिल करने में BJP सफल हुई है। यह बदलाव 1993 के चुनावों की तरह है। BJP के समर्थक पार्टी मुख्यालय के बाहर जश्न मनाते हुए नजर आए।
ग्राउंड लेवल की समस्याएं बनी रहीं चुनावी मुद्दा
ग्राउंड लेवल की समस्याओं जैसे जल, नालियां और कूड़ा-करकट की समस्या जैसे मुद्दों ने दोनों पार्टियों के उतार-चढ़ाव वाले प्रचार अभियानों के बीच अहम भूमिका निभाई। मतदाता शहर में प्रदूषण के कारण अपनी जीवनशैली का मूल्यांकन कर रहे थे। BJP ने ‘शीश महल’ को एक अहम मुद्दा बनाते हुए केजरीवाल द्वारा मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण और शराब नीति में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्रचार किया। यह मुद्दा स्पष्ट रूप से घर-घर पहुंचा।
AAP, जिसके नेता केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को शराब नीति मामले में जेल भेजा गया था, ने यह तर्क दिया कि उन्हें सरकार चलाने की स्वतंत्रता नहीं मिल रही है, क्योंकि हर कदम को उपराज्यपाल द्वारा रोका जा रहा है। लेकिन यह बात मतदाताओं तक नहीं पहुंची।
आम आदमी पार्टी ने 2015 में 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की थी, 2020 में 62 सीटें जीती थीं और अब वह शायद अपनी सीटों का आधा भी नहीं पा सकी। मोहल्ला क्लीनिक, मॉडल स्कूल, मुफ्त पानी और बिजली की घोषणा अब अपनी चमक खोती हुई प्रतीत हो रही थी।
वोट शेयर में बदलाव: 1998 से अब तक
1993 में BJP ने पहली बार दिल्ली में सत्ता हासिल की थी, जब उसका वोट शेयर 42.82% था। कांग्रेस का वोट शेयर 34.48% था। हालांकि, 1998 के चुनावों के बाद, BJP को सत्ता गंवानी पड़ी और उसे 27 साल बाद फिर से चुनाव जीतने का मौका मिला। इस हार के बाद BJP का वोट शेयर घटकर 35.82% हो गया था, जबकि कांग्रेस का शेयर बढ़कर 48% हो गया था।
2003 के चुनावों में BJP का वोट शेयर और भी घटकर 35.22% हो गया, जबकि कांग्रेस का शेयर 48.13% था। 2008 के चुनावों में BJP का वोट शेयर थोड़ी बढ़त के साथ 36.84% हो गया, जबकि कांग्रेस का 40.31% हो गया।
2015 और 2020 में AAP ने बीजेपी और कांग्रेस को हराकर शानदार सफलता हासिल की। 2015 में BJP का वोट शेयर घटकर 32.19% हो गया था, कांग्रेस का केवल 9.65% था और AAP ने 54.34% वोट शेयर प्राप्त किया था।
2020 के चुनावों में BJP का वोट शेयर थोड़ी सी बढ़त के साथ 33.07% हो गया था, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 4.55% रह गया था और AAP का वोट शेयर 53.57% था।
BJP की वापसी में चार M का योगदान
महिला (Mahila):
जैसा कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में हुआ, महिला मतदाताओं ने फिर से BJP के वोट शेयर में बढ़ोतरी करने में अहम भूमिका निभाई। BJP ने महिला समृद्धि योजना के तहत महिला मतदाताओं को 2,500 रुपये प्रति माह, गर्भवती महिलाओं को 21,000 रुपये और विधवाओं के लिए पेंशन में बढ़ोतरी का वादा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तक महिला मतदाताओं को ये लाभ मिलने का भरोसा दिलाया है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में पहले महिला मतदाता AAP के पक्ष में थे, क्योंकि पार्टी ने DTC और क्लस्टर बसों में मुफ्त यात्रा की योजना शुरू की थी। लेकिन अब BJP ने AAP के शराब नीति पर अभियान चलाया, जिससे महिलाओं के एक वर्ग को नाराजगी थी।
मध्यमवर्ग (Middle Class):
केंद्र सरकार के हालिया बजट में मध्यवर्ग के लिए किए गए टैक्स में सबसे बड़े राहत की वजह से BJP ने इस अहम वोट बैंक को अपने पक्ष में किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इसे मध्यमवर्ग के लिए अब तक का सबसे बेहतर बजट करार दिया। हालांकि चुनाव आयोग ने दिल्ली-specific घोषणाओं पर रोक लगाई थी, फिर भी बजट में किए गए टैक्स कटौती ने दिल्ली के मध्यमवर्गीय मतदाताओं में BJP का समर्थन बढ़ाया।
शीश महल (Sheesh Mahal):
AAP और कांग्रेस, जो मई 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन में थे, अब विधानसभा चुनावों में कटु प्रतिद्धंद्धी बन गए हैं। दोनों पार्टियों के बीच तीखी बयानबाजी और व्यक्तिगत हमलों ने BJP को अपनी राजनीति को उजागर करने का अवसर दिया।
कांग्रेस और BJP दोनों ने केजरीवाल पर शराब घोटाले और ‘शीश महल’ में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने भी केजरीवाल पर भ्रष्टाचार और ‘शीश महल’ विवाद को लेकर कड़ा हमला किया।
MCD (MCD चुनाव):
दिल्ली में बढ़ते हुए विरोधी incumbency माहौल के बीच लोग प्रशासनिक लापरवाही से थक चुके थे और BJP ने इस मुद्दे को न केवल उठाया बल्कि इसका भरपूर इस्तेमाल किया। 2022 में MCD चुनावों में BJP ने जीत हासिल की थी, जिससे AAP के लिए दबाव बढ़ गया।
BJP ने दिल्ली के चुनावी परिप्रेक्ष्य में इन चार मुद्दों को एकजुट करके अपनी जीत का रास्ता बनाया और इस तरह बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता में वापसी करने में सफल रही।