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47 वर्षों बाद बदल रहा है कांग्रेस पार्टी का पता, अब अकबर रोड नहीं, कोटला रोड पर बनेंगी रणनीतियां

यह बंगला गवाह रहा है: इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के पुनरुत्थान का, संजय गांधी के असामयिक निधन का, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या का, राजीव गांधी का प्रधानमंत्री के रूप में उदय और 1991 में उनकी दुखद हत्या का.

by Reeta Rai Sagar
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नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी आज अपने नए कार्यालय का उद्घाटन करने जा रही है। अब कांग्रेस का नया पता होगा- 9 ए कोटला रोड, जो पहले 24, अकबर रोड था। कार्यालय का उद्घाटन सोनिया गांधी करेंगी, जिसके लिए वो पार्टी के नए ऑफिस पहुंच चुकी हैं। कांग्रेस ने नए दफ्तर को पूरी तरह से हाईटेक बनाया है, जहां मॉडर्न सुविधाओं को तवज्जो दी गई है।

कांग्रेस के नए दफ्तर के ग्राउंड फ्लोर पर बाईं तरफ हाई टेक प्रेस कॉन्फ्रेंस रूम तैयार किया गया है, जहां से भविष्य में होने वाली प्रेस कांफ्रेंस होगी। नई इमारत के बिल्कुल बीच में रिसेप्शन है, जिसके ठीक पीछे कैंटीन को स्थान दिया गया है।

Media के लिए अलग सीटिंग अरेंजमेंट

बिल्डिंग की बाईं ओर मीडिया प्रभारी का कार्यालय है और साथ ही टीवी डिबेट में भाग लेने के लिए चेंबर्स बनाए गए है, जो नॉयज प्रूफ है। मीडिया और कैमरामैन का भी ध्यान रखते हुए कांग्रेस ने नए ऑफिस में अलग से सीटिंग एरिया बनाया है, जहां पत्रकार बैठ सकेंगे।

बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर हाईटेक ऑडिटोरियम बनाया गया है। इसके साथ ही कई विभाग बनाए गए हैं, जैसे- किसान विभाग, डेटा विभाग आदि। 47 साल बाद ऐसा मौका है, जब कांग्रेस का दफ्तर कहीं और शिफ्ट हो रहा है, यह एक ऐतिहासिक मोमेंट है।

47 साल पहले इंदिरा गांधी ने किया था अकबर रोड पर शिफ्ट

यह शिफ्टिंग पार्टी के लिए बेहद खास है। आज से ठीक 47 साल पहले आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने कांग्रेस से अलग हुए गुट को अकबर रोड स्थित बंगले में शिफ्ट कर दिया था। उस समय, वह केवल मुट्ठी भर वफादारों के साथ रह गई थी, लेकिन वो पार्टी का पुनर्निर्माण करने में कामयाब रहीं।

कई राजनीतिक घटनाओं का रहा है गवाह, अकबर रोड बंगला

ब्रिटिश काल का यह पुराना बंगला भारत की आजादी के बाद के राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस की यात्रा के केंद्र में रहा है। यह बंगला गवाह रहा है: इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के पुनरुत्थान का, संजय गांधी के असामयिक निधन का, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या का, राजीव गांधी का प्रधानमंत्री के रूप में उदय और 1991 में उनकी दुखद हत्या का और 1991, 2004 और 2009 में गठबंधन सरकारों के माध्यम से पार्टी की सत्ता में वापसी का भी।

इंदिरा गांधी भवन जाने के साथ ही कांग्रेस पार्टी ने एक नए अध्याय की शुरुआत की है। अकबर रोड स्थित मुख्यालय अब इसके परिचालन आधार के रूप में काम नहीं करेगा, लेकिन राजनीतिक रणनीति के प्रतीक के रूप में इसकी विरासत भारत के इतिहास में अमिट रूप से अंकित रहेगी।

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