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भाजपा की चेतावनी के बाद कंगना ने अपने बयान को लेकर मांगी माफी, जानें क्या कहा था

कंगना के बयान पर पार्टी की ओर से स्पाष्टीकरण जारी करते हुए कहा गया कि यह बीजेपी की सोच नहीं है। साथ ही कंगना को भविष्य में चेतावनी देते हुए ऐसे बयान से बचने की ताकीद दी गई है।

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क: अपने विवादास्पद बयानों और सोशल मीडिया पर पोस्ट को लेकर चर्चा में रहने वाली भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत एक बार फिर अपने बयानों से खबरों में आ गई है। अपने संसदीय क्षेत्र मंडी में पत्रकारों से बात करते हुए कंगना ने कृषि बिल की सिफारिश की। इस बार उनके बयान से पार्टी ने भी किनारा कर लिया है।

चिराग पासवान ने क्या कहा
कंगना के इस बयान पर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि यह उनका पर्सनल स्टेटमेंट हो सकता है। ये उनकी सोच हो सकती है। पार्टी का कोई बयान नहीं है।

कांग्रेस का बयान
दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख देवेंद्र यादव ने भी कहा कि सोचने का सवाल है कि कंगना को कौन बढ़ावा दे रहा है। क्यों उनको पार्टी रोक नहीं रही है। इसी महिला ने पहले किसानों को आतंकवादी कहा था। ये किसानों के लिए शर्मनाक बयान देती है, इसमें बीजेपी की मौन सहमति है।

इस पर कार्रवाई होनी चाहिए
जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि कंगना रनौत का बयान किसानों का अपमान है। बीजेपी को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। प्रधानमंत्री के फैसले का अपमान बताते हुए त्यागी ने कहा कि हम कंगना रनौत के बयान के खिलाफ है।

बिल्कुल ये मेरे निजी विचार है
कंगना की बयानबाजी के बाद जब चौतरफा सवाल उठने लगे, तब कंगना ने एक पोस्ट लिख कर कहा कि बिल्कुल किसान कानूनों पर मेरे विचार निजी है और वे उन विधेयकों पर पार्टी के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

बीजेपी ने झाड़ा पलड़ा
बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने कंगना के बयान के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि “मैं यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह बयान उनके निजी हैं। कंगना रनौत बीजेपी के लिए बयान देने के लिए अधिकृत नहीं है। यह बयान कृषि बिल पर बीजेपी के नजरिए को नहीं दर्शाता है। हम इस बयान को अस्वीकार करते हैं।”

क्या कहा था कंगना ने
अब कंगना ने बयान दिया है कि पूर्व में लाए गए तीनों कानून किसानों के हित में हैं और उन्हें वापस लाया जाना चाहिए। 23 सितंबर को मंडी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि किसानों के जो कानून निरस्त हो गए हैं, वो फिर से लागू होने चाहिए। हो सकता है कि ये विवादास्पद हो जाए। लेकिन फिर भी मुझे लगता है किसानों के हितकारी कानून वापस आने चाहिए। किसानों को तो खुद इसकी डिमांड करनी चाहिए। ताकि किसानों की समृद्धि में ब्रेक न लगे।
क्या है ये तीन कानूनः

  1. कृषक उपज व्यापार औऱ वाणिज्य कानून।
  2. कृषि कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार।
  3. वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
    आई टेक माय वर्ड्स बैक- मंडी सांसद
    भाजपा सांसद कंगना रनौत के तीनों कृषि कानूनों को वापस लाने की मांग के बाद से विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इसके बाद कंगना रनाैत ने सोशल मीडिया पर एक और पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने अपने शब्द वापस लेने की बात कही है। पोस्ट में उन्होंने कहा है कि यदि किसी को मेरी बात बुरी लगी हो तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं। “आइ टेक माय वर्ड्स बैक।

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