रांची: नामकुम में मंगलवार को ‘धरोहर’ कार्यक्रम का आयोजन पारंपरिक कला-संस्कृति के संरक्षण और कलाकारों के सम्मान के उद्देश्य से किया गया। कार्यक्रम का थीम विरासत का सम्मान, वर्तमान का उत्सव और भविष्य की प्रेरणा था। इस मौके पर झारखंड के विभिन्न कला क्षेत्र गीत, संगीत, नृत्य, सिनेमा व लोक संस्कृति में योगदान देने वाले कलाकारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि आधुनिकता की चकाचौंध से दूर रहकर पारंपरिक नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक विरासत को अपनाना जरूरी है। उन्होंने झारखंडी वाद्ययंत्रों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि कलाकारों ने झारखंड की संस्कृति को जिंदा रखा है और राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाई है।
कलाकारों की सुनी समस्याएं
पैनल डिस्कशन में झारखंड के कलाकारों की समस्याओं और उनके समाधान को लेकर चर्चा हुई। कलाकारों ने कांग्रेस प्रभारी के राजू को ज्ञापन सौंपकर नीति निर्माण की मांग की। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए के राजू ने कहा कि जैसे तेलंगाना सरकार ने कलाकारों के लिए योजनाएं चलाईं, उसी तरह झारखंड में भी पेंशन, स्कॉलरशिप और अकादमी गठन जैसे कदम उठाए जाने चाहिए।
अलग अकादमी की उठी बात
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने भी राज्य में भाषा, संस्कृति और कला के लिए अलग अकादमी बनाने की बात दोहराई। वहीं कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कलाकारों की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता जताई और युवाओं को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में कलाकारों की उपस्थिति ने आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
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