Ranchi (Jharkhand) : झारखंड के क्षेत्रीय राजनीतिक दल आजसू पार्टी ने अपने स्थापना दिवस 22 जून को इस वर्ष बलिदान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने गुरुवार को यह घोषणा करते हुए कहा कि यह दिन झारखंड आंदोलन के शहीदों को समर्पित होगा और पार्टी की ऐतिहासिक भूमिका को जन-जन तक पहुंचाने का अवसर बनेगा।
झारखंड आंदोलन की विरासत को समर्पित आयोज
नसुदेश महतो ने कहा कि बलिदान दिवस का आयोजन केवल एक स्मरण नहीं, बल्कि आत्ममंथन और राज्य की मौजूदा स्थिति का मूल्यांकन करने का अवसर भी होगा। उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता ने जिन उम्मीदों और अधिकारों के लिए संघर्ष किया, क्या आज राज्य वैसी ही स्थिति में है?
केंद्रीय स्तर पर होगा समारोह, सभी जिलों में कार्यकर्ता जुटेंगे
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 22 जून को केंद्रीय स्तर पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।सभी जिलाध्यक्षों और केंद्रीय पदाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में व्यापक प्रचार-प्रसार करें और अधिकतम संख्या में कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम में शामिल कराएं।
राज्य की वित्तीय स्थिति और सरकार की भूमिका पर सवाल
बैठक में राज्य की बिगड़ती वित्तीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। सुदेश महतो ने कहा कि राज्य के संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। उन्होंने राज्य सरकार को वित्तीय प्रबंधन सुधारने और कठोर कदम उठाने की सलाह दी।
पेसा कानून को लेकर सरकार पर हमला
सुदेश महतो ने झारखंड सरकार पर पेसा कानून के क्रियान्वयन में सुस्ती बरतने का आरोप लगाया।उन्होंने कहा कि आज तक इस कानून की नियमावली भी सार्वजनिक नहीं की गई है, जबकि यह आदिवासी और मूलवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है।
शराब घोटाले को लेकर सरकार पर साधा निशाना
अध्यक्ष ने झारखंड में हजारों करोड़ के शराब घोटाले पर भी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि यह घोटाला भ्रष्टाचार और लापरवाही की पराकाष्ठा है, जिसमें सरकार की गहरी संलिप्तता नजर आती है। उन्होंने इसकी उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच की मांग की।
1986 में हुई थी आजसू पार्टी की स्थापना
उल्लेखनीय है कि 22 जून 1986 को झारखंड छात्र आंदोलन के रूप में शुरू हुई यह पार्टी आज एक सशक्त राजनीतिक दल के रूप में उभर चुकी है।बैठक में सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, विधायक निर्मल महतो, पूर्व विधायक लंबोदर महतो, डॉ. देवशरण भगत, प्रवीण प्रभाकर, हसन अंसारी, डोमन सिंह मुंडा, मुकुंद चंद्र मेहता सहित कई प्रमुख नेता मौजूद थे।