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Jharkhand Assembly Election 2024: हाय री राजनीति… जनता किस पर करे विश्वास

चम्पाई सोरेन ने कहा ‘यहां की मौजूदा सरकार पिछले पांच साल से आदिवासियों को छलने का काम कर रही है। झारखंड के ज्वलंत मुद्दे बांग्लादेशी घुसपैठ पर केवल भाजपा सरकार ही रोक लगा सकती है’।

by Anand Mishra
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जमशेदपुर : ‘हर साख पे उल्लू बैठा है, आबाद गुलिस्तां क्या होगा…।’ अपने राज्य झारखंड में कमोबेश यही स्थिति है। किसी भी दल से जुड़े राजनेता हों, जनता उनकी बातों पर भरोसा करे, तो कैसे? हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन सोमवार को अपने विधानसभा क्षेत्र सरायकेला पहुंचे। वहां उन्होंने दो कार्यकर्ता सम्मेलनों में शिरकत की और कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित कराने का आह्वान किया। सम्मेलन में सोरेन ने जो कहा, वह जनता की आंख खोलने के लिए काफी है। यह समझने के लिए काफी है कि राजनीति में कार्यकर्ताओं औऱ जनता को सम्मोहित करने के लिए किस-किस तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं।

सम्मेलन में चम्पाई सोरेन ने कहा ‘यहां की मौजूदा सरकार पिछले पांच साल से आदिवासियों को छलने का काम कर रही है। झारखंड के ज्वलंत मुद्दे बांग्लादेशी घुसपैठ पर केवल भाजपा सरकार ही रोक लगा सकती है’। चम्पाई सोरेन के वक्तव्य से साबित होता है कि पार्टी बदलते ही किस तरह से बोल औऱ बयान भी बदल जाते हैं। सालों-साल जिसके साथ रहे, जिसका गुणगान किया, पाला बदलते ही उसके अवगुणों का पुलिंदा खोलने लगते हैं।

अब सवाल यह है कि चम्पाई सोरेन जब राज्य की हेमंत सरकार में आदिवासी कल्याण मंत्री थे, हेमंत सोरेन के जेल जाने पर मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने क्या किया। आदिवासी कल्याण मंत्री रहते हुए वह राज्य सरकार को आदिवासियों को छलने में सहयोग करते रहे? तब उन्होंने आवाज क्यों नहीं उठाई? हेमंत सरकार की यह मानसिकता पहले क्यों नहीं नजर आई? खुद मुख्यमंत्री रहते हुए घुसपैठ रोकने अथवा घुसपैठियों से राज्य को मुक्त कराने के लिए उन्होंने क्या किया? तब तो उन्हें घुसपैठ नजर नहीं आ रहा था।

आज खुद को आदिवासियों का हिमायती बताने वाले चम्पाई सोरेन को पहले ही हेमंत सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर देनी चाहिए थी। लेकिन अब पार्टी बदलते ही उनके सुर बदल गए हैं औऱ राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही राज्य की हेमंत सरकार को आदिवासियों का विरोधी औऱ भाजपा को उनका शुभचिंतक बता रहे हैं। पार्टी की जीत सुनिश्चित करने को लेकर कार्यकर्ताओं से एकजुट रहने का आह्वान करते हुए इस सरकार को उखाड़ फेंकने की अपील कर रहे हैं।

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