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एससी/एसटी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, घर के अंदर जातिसूचक शब्द बोलना अपराध नहीं

by Rakesh Pandey
Allahabad High Court on SC/ST Act
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कोर्ट/क्राइम डेस्क, प्रयागराज: SC/ST एक्ट से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने कई टिप्पणियां की हैं। फैसला सुनाते हुए बताया कि आखिर इस एक्ट के तहत कोई अपराध कब सिद्ध माना जाएगा? पीठ ने यह टिप्पणियां एक स्कूल के मालिक के खिलाफ चल रही SC/ST एक्ट के तहत आपराधिक कार्यवाही की सुनवाई के दौरान की है। कोर्ट ने स्कूल के मालिक के खिलाफ चल रही कार्यवाही को रद्द करते हुए कहा कि इस एक्ट के तहत किसी व्यक्ति पर तभी मुकदमा चलाया जा सकता है, जब उसने किसी को जाति के आधार पर सार्वजनिक स्थान पर अपमानित किया हो।

Allahabad High Court: क्या था मामला?

दरअसल, एक स्कूल के मालिक के खिलाफ उसी स्कूल के एक स्टूडेंट के पिता ने केस किया था कि आरोपी ने उसे स्कूल में जातिसूचक गालियां दी। स्टूडेंट के पिता के इसी केस को स्कूल के मालिक ने कोर्ट में चुनौती दी थी। इसका फैसला सुनाते हुए लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि SC/ST समुदाय के सदस्य को उसकी जाति के नाम से बुलाना दुर्व्यवहार या अपराध नहीं है। SC/ST एक्ट के तहत अगर ऐसी घटना किसी घर के अंदर होती है, जहां कोई दूसरा बाहरी व्यक्ति मौजूद नहीं है, तो ऐसे में यह अपराध नहीं माना जाएगा।

स्कूल के मालिक पर था आरोप

शिकायतकर्ता ने स्कूल के मालिक पर आरोप लगाया कि उसने उसके बेटे को 12वीं कक्षा की परीक्षा में फेल कर दिया। जब इस बारे वह स्कूल में बात करने गए, तो आरोपी मालिक ने उनकी जाति का नाम लेकर उन्हें गालियां भी दी। शिकायतकर्ता का दावा है कि केस दर्ज होने के बाद आरोपी के सहयोगियों ने केस वापस लेने के लिए कहा, जिसके लिए उन्होंने 5 लाख रुपये भी ऑफर किए। (Allahabad High Court)

क्या है इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि किसी व्यक्ति पर SC/ST अधिनियम की धारा 3(1)(S) के तहत अपराध के लिए मुकदमा तभी चलाया जा सकता है, जब उसके द्वारा कही गई बातें किसी भी सार्वजनिक स्‍थान पर की गई हों। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य की जाति का नाम लेकर मौखिक दुर्व्यवहार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (एससी/एसटी अधिनियम) के तहत अपराध नहीं होगा, यदि ऐसी घटना उस घर के भीतर घटती है जहां कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद नहीं होता है। (Allahabad High Court)

SC/ST एक्ट के तहत क्या है अपराध

पीठ ने कहा कि आरोपी मालिक ने सार्वजनिक रूप से शिकायतकर्ता के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया है। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में कहीं भी उस घटना के बारे साफ तौर पर कुछ भी नहीं बताया है। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, SC/ST एक्ट के तहत कोई अपराध (Allahabad High Court) तब अपराध माना जाएगा, जब समाज के कमजोर वर्ग के व्यक्ति का सार्वजनिक रूप से अपमान और उत्पीड़न किया गया हो।

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