जमशेदपुर : झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साव उर्फ अमन साहू को पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार गिराया है। यह एनकाउंटर पलामू जिले के चैनपुर व रामगढ़ थाना के बीच अंधारी ढोढा गांव के पास हुआ है। घटना के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई है। झारखंड की इस घटना को लोग यूपी कानपुर वाले विकास दुबे से जोड़ रहे हैं। सोशल मीडिया पर तरह तरह की चर्चा चल रही है। अधिकांश लोग झारखंड पुलिस की पीठ थपथपा रहे हैं। कोई इसे विकास दुबे की कहानी से जोड़ रहा है तो कोई प्रयागराज वाले अतीक अशरफ के अंत को याद कर रहा है। मगर, दहशत के अंत पर सब चैन की सांस ले रहे हैं।
5 साल पहले हुआ था कानपुर वाले विकास दुबे का एनकाउंटर
झारखंड में लोग वाट्सेप स्टेटस लगाकर पूछ रहे हैं कि क्या कहीं कानपुर वाले विकास दुबे की तर्ज पर तो नहीं पुलिस ने अमन साहू की जिंदगी की गाड़ी नहीं पलटा दी है। हालांकि उत्तर प्रदेश में हुई घटना की उच्च स्तरीय जांच में साफ हो गया था कि घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की पुलिस की ओर से दी गई जानकारी पूरी तरह से सही थी।
पुलिस ने कानपुर के बिकरू वाले विकास दुबे को भी 10 जुलाई साल 2020 को इसी तरह एनकाउंटर कर दिया था । उसे उज्जैन में गिरफ्तार करने के बाद कानपुर लाया जा रहा था। विकास दुबे की घटना के बारे में पुलिस ने बताया था कि जब उसे कानपुर लाया जा रहा था तो कानपुर से थोड़ा पहले उसकी गाड़ी पलट गई। गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। उसने एक इंस्पेक्टर की पिस्तौल छीन ली थी। पुलिसकर्मियों ने उसका पीछा किया तो विकास ने पुलिस कर्मियों पर फायर कर दिया। इसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए विकास दुबे को मार गिराया था। कुछ वैसे ही कहानी झारखंड के कुख्यात बदमाश अमन साहू की भी है। अमन साहू के बारे में पुलिस का कहना है कि उसे छत्तीसगढ़ की रायपुर जेल से झारखंड लाया जा रहा था। गाड़ी जब पलामू जिले के चैनपुर रामगढ़ थाना के बीच अंधारी ढोढा इलाके में पहुंची तो अमन साव के साथियों ने उसको छुड़ाकर ले जाने के लिए पुलिस पर बमों से हमला कर दिया। बताते हैं इसी बीच अमन साहू ने पुलिस के जवान से राइफल छीन कर भागने की कोशिश की। अमन साहू ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। पुलिस ने जवाबी फायरिंग कर गैंगस्टर को ढेर कर दिया। कानपुर वाली कहानी की तरह अमन साहू वाली घटना में भी एक पुलिस जवान के पैर में गोली लगी है। विकास दुबे की घटना के बाद से अब गैंगस्टर की गाड़ी पलटने का सिलसिला बढ़ गया है।
कुछ इस तरह हुआ था अतीक व अशरफ का अंत
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज वाले अतीक और अशरफ की गाड़ी पुलिस नहीं पलटा पाई थी। क्योंकि हाईकोर्ट के निर्देश पर उनके अधिवक्ता के साथ हाईकोर्ट के एक अधिकारी भी काफिले के साथ थे। लेकिन बाद में अतीक और अशरफ को तब मार दिया गया था जब उसे मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया था।
झारखंड में थी अमन साहू की दहशत

झारखंड में अमन साहू की दहशत थी। अमन साव पुलिस की नाक में दम किए हुए था। राजधानी रांची में इसी सात मार्च को कोयला कारोबारी विपिन मिश्रा को गोली मारने के मामले में भी उसका नाम आया था। अमन साव प्रदेश के बड़े-बड़े कारोबारियों से रंगदारी की वसूली कर रहा था। अमन साहू को पिछले चार साल में 10 अलग-अलग जेल में ट्रांसफर किया जा चुका था। लेकिन हर जेल में वह अपना नेटवर्क बना लेता था और जेल से ही कारोबारी को फोन कर उससे रंगदारी की मांग करता था। अमन साहू का नेटवर्क झारखंड के रांची, रामगढ़, चतरा, धनबाद, हजारीबाग, पलामू, लातेहार और बोकारो इलाके में फैला हुआ था। अमन साहू पर 50 से अधिक लोगों ने रंगदारी वसूलने के केस दर्ज कराए थे। अमन साहू के गुर्गे कोयला कंपनियों, कोयला कारोबारियों, ट्रांसपोर्टर, बिल्डर, ठेकेदार और बड़े-बड़े व्यवसाइयों से रंगदारी वसूलते थे। जो रंगदारी देने में आनाकानी करता था उसको गोली मार दी जाती थी।
अमन साहू का दाहिना हाथ है मयंक
अमन साहू का गुर्गा मयंक सिंह सोशल मीडिया पर हर वारदात के बाद धमकी भरी पोस्ट डालता है। मयंक सिंह भी खासा चर्चित है। माना जाता है कि अमन साहू के बाद मयंक सिंह उसके गिरोह की कमान संभाल सकता है। मयंक सिंह कौन है। इसका पता लगाने में पुलिस जुटी रही। पुलिस का कहना है कि सुनील सिंह मीणा नाम का जो बदमाश है। वही मयंक सिंह है। उसे अभी कुछ दिन पहले अजरबैजान की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह अजरबैजान की राजधानी बाकू की जेल में वह बंद है। उसे भारत लाने की कोशिश की जा रही है। हाल ही में मयंक सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कई लोगों को धमकी भरी पोस्ट डालकर रंगदारी देने की बात कही थी। भुरकुंडा और बरकाकाना कोयला साइडिंग की कंपनियों में काम करने वाले कारोबारी से रंगदारी मांगी गई थी। रंगदारी नहीं मिलने पर वहां के मजदूरों को चेतावनी दी गई थी कि अगर लोडिंग नहीं बंद की गई तो गंभीर परिणाम होगा।
लॉरेंस बिश्नोई से था अमन साहू का कनेक्शन

बताते हैं कि अमन साहू का एक बड़ा नेटवर्क है। अमन साहू गिरोह का कनेक्शन लॉरेंस बिश्नोई गैंग से था। अमन साहू लॉरेंस बिश्नोई और उसके छोटे भाई अनमोल बिश्नोई से भी सोशल मीडिया के जरिए जुड़ा रहता था। बताते हैं कि अमन साहू का संपर्क लॉरेंस बिश्नोई से मयंक सिंह ने ही कराया था।
हथियारों का शौकीन था अमन साव

बताते हैं कि अमन साहू हथियारों का शौकीन था। वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तरह-तरह के हथियार लिए अपनी फोटो डालता रहता था। उसके पास अत्याधुनिक हथियार थे।
विपिन शर्मा पर फायरिंग मामले में होनी थी पूछताछ
रांची में कोयला कारोबारी विपिन शर्मा पर सात मार्च को फायरिंग हुई थी। विपिन शर्मा से रंगदारी मांगी गई थी। नहीं देने पर अमन साहू के गुर्गों ने उस पर फायरिंग की थी। इस केस में अमन साहू गिरोह के चंदन साहू का नाम आया था। चंदन भी कई दिनों से जेल में बंद है। विपिन मिश्रा ने पुलिस को बताया था कि वह घटना वाले दिन रोज की तरह सुबह 5:45 बजे हजारीबाग जाने के लिए सरकारी बॉडीगार्ड भगवान माहली, निजी बॉडीगार्ड अशोक तिवारी और चालक दीपक लकड़ा के साथ निकले थे। टर्निंग पर चार पहिया वाहन की वजह से गाड़ी को रोका गया और तभी बाईं तरफ से दो बदमाश पहुंचे और फायरिंग करने लगे थे। एक गोली शीशा तोड़ते हुए गर्दन में और दूसरी विपिन मिश्रा के हाथ में लगी थी। बॉडीगार्ड ने गाड़ी का गेट खोला और बचाव में फायरिंग की थी। इसके बाद दोनों बदमाश और उनका एक अन्य सहयोगी जो बाइक पर मौजूद था, भाग निकले थे। अंगरक्षकों ने बदमाशों का पीछा किया था। लेकिन वह पकड़ में नहीं आए थे। पुलिस की जांच में यह बात सामने आने के बाद अमन साहू को इसी मामले में पूछताछ के लिए रांची लाया जा रहा था। तभी पलामू जिले में अमन साव की जिंदगी की गाड़ी पलट गई।
कॉन्ट्रैक्ट कारोबार में उतर गया था अमन

बताते हैं कि अमन साहू झारखंड की जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया था। उसने रंगदारी वसूलने से क्राइम की शुरुआत की थी। लेकिन इधर बीच वह कॉन्ट्रैक्ट लेने लगा था। अपने लोगों को पेटी कॉन्ट्रैक्ट दिलाता था। इसके लिए वह बड़े-बड़े ठेकेदारों से संपर्क करता था और अपनी शर्तों पर अपने लोगों को पेटी कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के बाद करोड़ों की कमाई कर रहा था। अमन साहू को बार-बार एक जेल से दूसरे जेल शिफ्ट किया जाता रहा था। ताकि वह अपने गिरोह से संपर्क ना रख सके। लेकिन अमन साहू जेल से ही अपना नेटवर्क चलाने में कामयाब रहता था। लेकिन, अब उसके अंत के बाद झारखंड के लोग चैन की नींद सोएंगे।
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