सेंट्रल डेस्क : अमेरिका ने यमन पर भीषण हमला किया है। इस हवाई हमले में अमेरिका के साथ ही ब्रिटेन के भी युद्धक विमानों के शामिल होने की बात कही जा रही है। इन हमलों में 34 लोगों की मौत हुई है। इन हमलों के साथ ही मध्य पूर्व में एक बार फिर युद्ध का खतरा मंडराने लगा है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, एक “निर्णायक और शक्तिशाली” हवाई हमले शुरू किए गए हैं, और इसके पीछे उन्होंने कारण बताया कि हूथियों ने रेड सी में शिपिंग पर हमला किया है। इसी के बाद अमरीका ने यमन पर हवाई हमले किए हैं।
ट्रंप ने अपने “ट्रुथ सोशल” प्लेटफार्म पर लिखा, “ईरान द्वारा वित्तपोषित हूथियों ने अमेरिकी विमान पर मिसाइलें दागी हैं और हमारे सैनिकों और सहयोगियों को निशाना बनाया है।” उन्होंने कहा कि इनके लाल सागर में जहाजों पर हमले से “अरबों डॉलर” का नुकसान हुआ है और जीवन को खतरे में डाला है।
हूथी शासन के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इन हमलों में कम से कम 34 लोग मारे गए और 101 अन्य घायल हो गए। यमन की सरकार का कहना है कि यह हमले नागरिक ठिकानों पर किए गए हैं।
हूथी समूह ने कहा कि वे अमेरिका के हवाई हमलों का कड़ा जवाब देंगे। इसने शनिवार शाम साना और सआदा प्रांत में कई विस्फोटों की रिपोर्ट की।
हूथी, जो इस्राइल को अपना दुश्मन मानते हैं, उनका कहना है कि उन्होंने लाल सागर पर इसराइली जहाजों पर जो पाबंदी लगाई है वह इसलिए लगाई है ताकि इसराइल को गजा में मानवीय सहायता पहुंचाने पर मजबूर किया जा सके।
ट्रंप ने कहा, “हम व्यापक विनाशक बल का उपयोग करेंगे जब तक कि हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते।”
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरगची ने रविवार को कहा कि अमेरिकी सरकार को “ईरानी विदेश नीति को निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है।”
हूथी समूह ने कहा कि वे गाजा में इस्राइल-हामस युद्ध खत्म कराने के लिए काम कर रहे हैं और दावा किया कि वे केवल इस्राइल, अमेरिका या ब्रिटेन से संबंधित जहाजों को निशाना बना रहे हैं।