नई दिल्ली: संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट को लेकर गुरुवार को भाजपा और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहस देखने को मिली। विपक्षी सांसदों ने रिपोर्ट में अपनी आपत्तियों को शामिल न किए जाने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। उनका कहना था कि असहमति नोट को अंतिम रिपोर्ट से हटा दिया गया है, जिससे उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई है। इस मुद्दे पर बहस के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विवाद सुलझाने की कोशिश की और कहा कि यदि असहमति नोट को रिपोर्ट में जोड़ा जाता है तो उनकी पार्टी को इससे कोई आपत्ति नहीं है।
विपक्षी दलों का विरोध
लोकसभा में JPC की रिपोर्ट को भाजपा सांसद और समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने पेश किया। इसके तुरंत बाद विपक्षी सांसदों ने विरोध जताया और आरोप लगाया कि रिपोर्ट में उनके विचारों को दबाया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि इस रिपोर्ट में उनके दल के असहमति नोट को हटा दिया गया है, जो लोकतंत्र के खिलाफ है। उन्होंने मांग की कि यह रिपोर्ट फिर से संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजी जाए ताकि असहमति को सही तरीके से शामिल किया जा सके।
खरगे का कहना था, “यह फर्जी रिपोर्ट है, जो विपक्ष के विचारों को कुचलने का प्रयास करती है। अगर रिपोर्ट में असहमति के विचार नहीं हैं, तो इसे वापस भेजा जाना चाहिए और फिर से पेश किया जाना चाहिए।” उनके इस बयान के बाद कई विपक्षी दलों के सांसदों ने भी उनका समर्थन किया, जिसमें शिवसेना (UBT) के सांसद अरविंद सावंत भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का असहमति नोट भी रिपोर्ट से हटा दिया गया था।
अमित शाह का बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी सांसदों से शांत रहने की अपील की और कहा, हमारी पार्टी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि असहमति नोट रिपोर्ट में शामिल किए जाते हैं या नहीं। यदि विपक्षी सदस्य अपनी आपत्तियां रिपोर्ट में जोड़ने की मांग करते हैं, तो हम इसमें कोई आपत्ति नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विपक्ष के द्वारा उठाए गए विवादों को ध्यान में रखते हुए, रिपोर्ट में आवश्यक संशोधन किए जा सकते हैं।
अमित शाह के इस बयान का उद्देश्य विपक्ष के विरोध को शांत करना और विधेयक के पारित होने की प्रक्रिया को स्थिर बनाए रखना था। उनका कहना था कि यदि असहमति की बातें जोड़ने से रिपोर्ट में कोई भेदभाव नहीं होता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
राज्यसभा में स्थिति
वहीं, राज्यसभा में भी इस विधेयक पर चर्चा हुई और रिपोर्ट को वहां भी पेश किया गया। राज्यसभा सांसद मेधा कुलकर्णी ने रिपोर्ट को प्रस्तुत किया, जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, इस दौरान विपक्ष ने विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया। मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में भी वही आरोप लगाए और रिपोर्ट को वापस भेजने की मांग की।
केंद्रीय मंत्रियों का पलटवार
विपक्षी दलों के आरोपों का केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने खंडन किया और कहा कि रिपोर्ट में असहमति नोट को संलग्न किया गया था। उनका कहना था कि विपक्षी सांसदों ने जानबूझकर इस मुद्दे को तूल दिया और सदन को गुमराह करने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने बिना किसी ठोस आधार के यह मुद्दा उठाया।
भा.ज.पा.अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि कुछ लोग भारतीय राज्य से लड़ने की कोशिश कर रहे थे। उनका इशारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस बयान की ओर था, जिसमें उन्होंने भारतीय राज्य पर सवाल उठाए थे। नड्डा ने कहा कि विपक्षी दलों का यह रवैया संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है।