सेंट्रल डेस्क: भारत ने बांग्लादेश में लगभग ₹5,000 करोड़ की लागत वाली प्रमुख रेलवे कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर काम रोक दिया है। यह निर्णय बांग्लादेश में बढ़ते राजनीतिक अशांति और श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर उठाए गए हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य भारत के मुख्य भूमि को उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ना था, लेकिन वर्तमान स्थिति में भारत वैकल्पिक मार्गों पर विचार कर रहा है।
बांग्लादेश में रेलवे परियोजनाओं पर रोक
भारत ने बांग्लादेश में तीन प्रमुख रेलवे परियोजनाओं पर काम रोक दिया है:
• अखौरा–अगरतला क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक: यह परियोजना अगरतला और कोलकाता के बीच यात्रा समय को 31 घंटे से घटाकर 10 घंटे करने का लक्ष्य रखती थी।
• खुलना–मोंगला पोर्ट रेल लाइन: यह परियोजना बांग्लादेश के प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ने के लिए थी।
• ढाका–टोंगी–जॉयदेवपुर रेल विस्तार: यह परियोजना ढाका के उपनगरों में यात्री और माल परिवहन क्षमता बढ़ाने के लिए थी।
इसके अतिरिक्त, पांच अन्य प्रस्तावित रेल मार्गों के सर्वेक्षण भी स्थगित कर दिए गए हैं।
वैकल्पिक मार्गों की खोज
भारत अब बांग्लादेश पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक रेल मार्गों पर विचार कर रहा है:
• नेपाल के माध्यम से रेल कनेक्टिविटी: रक्सौल–काठमांडू और जोगबनी–बिराटनगर रेल लिंक परियोजनाएं प्रगति पर हैं।
• भूटान के साथ रेल लिंक: कोकराझार–गेलेपु रेल लिंक पर प्रारंभिक सर्वेक्षण कार्य चल रहा है।
• सिलीगुरी कॉरिडोर का विकास: उत्तर प्रदेश और बिहार में मौजूदा रेल लाइनों को दोगुना या चौगुना करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इन वैकल्पिक मार्गों से भारत को बांग्लादेश पर निर्भरता कम करने और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
बांग्लादेश में राजनीतिक अशांति और सुरक्षा चिंताओं के कारण भारत ने महत्वपूर्ण रेलवे परियोजनाओं पर काम रोक दिया है। हालांकि, भारत वैकल्पिक मार्गों के माध्यम से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है।