नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने एक फैक्ट शीट जारी करते हुए, यह जानकारी साझा की है कि विश्व के 40 प्रतिशत बच्चे एनीमिया( खून की कमी) से जूझ रहे हैं। एनीमिया से प्रभावित लोगों में 37 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं और 30 प्रतिशत 15 से 49 वर्षीय महिलाएं शामिल हैं। एनीमिया यानी खून की कमी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए यूनिसेफ और WHO साझा रूप से मिलकर काम कर रहे हैं।
ज्यादातर ग्रामीण और गरीब, खून की कमी से हैं प्रभावित
WHO द्वारा जारी एक फैक्ट शीट में यह बात सामने आई है कि दुनियाभर के 40 प्रतिशत बच्चे, 37 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं और 30 प्रतिशत 15- 49 आयुवर्ग की महिलाएं एनीमिया की बीमारी से ग्रसित हैं। इनमें अधिकतर एनीमिया से किशोरियां और गर्भवती महिलाएं पीड़ित हैं। खून की कमी से जूझ रही अधिकतर जनसंख्या में ग्रामीण आबादी और गरीब परिवारों के लोग शामिल हैं। इस समस्या को 2030 के सतत विकास एजेंडे में शामिल किया गया है।
WHO ने जताई थी यह प्रतिबद्धता
यूनिसेफ और WHO साझा रूप से एनीमिया के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए प्रयासरत हैं। वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के 6 लक्ष्यों में एक लक्ष्य, एनीमिया के बढ़ते प्रसार को रोकना भी शामिल है। 2021 में न्यूट्रिशन फॉर ग्रोथ समिट के दौरान WHO ने इस बीमारी की पहचान, रोकथाम और उपचार के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करने की बात कही थी। एनीमिया को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए WHO और यूनिसेफ ने साझा रूप से एक्शन एलायंस गठित किया है।
यह है एनीमिया की मुख्य वजह
एनीमिया से अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के देश सबसे अधिक प्रभावित है। अफ्रीका की 106 मिलियन महिलाएं और 103 मिलियन बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं। दक्षिण पूर्व एशिया में 244 मिलियन महिलाएं और 83 मिलियन बच्चे इस बीमारी से जूझ रहे हैं। एनीमिया की मुख्य वजह आयरन की कमी और वायु प्रदूषण को भी माना गया है।
भारत में क्या है स्थिति
भारत में यदि एनीमिया से प्रभावित राज्य देखे जाएं,तो उनमें त्रिपुरा, तेलंगाना, पंजाब, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, छत्तीसगढ़, असम, मध्य प्रदेश जैसे राज्य शामिल है। इन राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इसी माह साझा, एक जानकारी के अनुसार सबसे अधिक गर्भवती महिलाएं बिहार, गुजरात और पश्चिम बंगाल में खून की कमी से जूझ रही हैं। भारत में एनीमिया के प्रसार को रोकने और कम करने के लिए ‘एनीमिया मुक्त भारत’ रणनीति पहले से लागू है। यह एक राष्ट्रीय रणनीति है।