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RANCHI EDUCATION NEWS : XISS में जियो-स्पेशल टेक्नोलॉजी कोर्स में नामांकन के लिए आवेदन शुरू, 5 जून तक मौका

by Vivek Sharma
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रांची : पुरुलिया रोड स्थित ज़ेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल सर्विस (एक्सआईएसएस) में एआईसीटीई से अनुमोदित पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन मैनेजमेंट (पीजीसीएम) जियो-स्पेशल टेक्नोलॉजी एप्लिकेशन्स कोर्स में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इच्छुक छात्र 5 जून 2025 तक संस्थान की वेबसाइट (https://xiss.ac.in/GITRAINING/admissionform/) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस एक वर्षीय (दो सेमेस्टर) कोर्स में कुल 30 सीटें निर्धारित की गई हैं।

किसी भी विषय में स्नातक जरूरी

कोर्स में नामांकन के लिए आवेदक का किसी भी विषय में स्नातक उत्तीर्ण होना आवश्यक है, जिसमें न्यूनतम 45% अंक होने चाहिए। इस कोर्स में झारखंड सरकार की ई-कल्याण योजना के तहत अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति की सुविधा भी उपलब्ध है।

बढ़ रही कोर्स की डिमांड

यह कोर्स आज के तकनीकी युग में अत्यधिक प्रासंगिक होता जा रहा है, जहां जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम (GIS), रिमोट सेंसिंग और ड्रोन मैपिंग की मांग तेजी से बढ़ रही है। कोर्स के तहत विद्यार्थियों को आर्क-जीआईएस, एरडास इमेजिन, क्यूजीआईएस, पायथन जैसे नवीनतम सॉफ्टवेयर और फील्ड उपकरण जैसे डीजीपीएस तथा इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है।

80 परसेंट का हुआ प्लेसमेंट

पिछले सत्र के आंकड़ों के अनुसार इस कोर्स में नामांकित 70-80% विद्यार्थियों को प्लेसमेंट मिला है। कोर्स फीस छात्रों के लिए 67,000 तथा वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए 80,000 निर्धारित की गई है, जिसे दो किस्तों में भरा जा सकता है। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दो छात्रों को क्रमश: 15,000 और ₹10,000 की स्कॉलरशिप भी दी जाएगी।

कोर्स की उपयोगिता परएक्सआईएसएस के निदेशक डॉ. जोसफ मारियानुस कुजूर एसजे की मानें तो जीआईएस और रिमोट सेंसिंग वर्तमान समय की प्रमुख तकनीकों में से हैं और इनका उपयोग लगभग हर सरकारी विभाग में हो रहा है। इस कोर्स के पश्चात छात्र अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, खनन एवं भूविज्ञान विभाग, कृषि, नगर एवं ग्रामीण नियोजन, आपदा प्रबंधन, वन विभाग और भूमि अभिलेख जैसे क्षेत्रों में रोजगार पा सकते हैं। विशेष रूप से झारखंड सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘नक्शा प्रोजेक्ट’ से इस क्षेत्र में पेशेवरों की मांग और अधिक बढ़ गई है, जो शहरी भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण में सहायक सिद्ध हो रहा है।

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