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Arun Jaitley’s ‍Birth Anniversary : अरुण जेटली का योगदान : क्रिकेट से लेकर राजनीति तक

by Rakesh Pandey
Arun Jaitley's ‍Birth Anniversary
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सेंट्रल डेस्क : भारत के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम भारतीय राजनीति के उन नेताओं में शुमार होता है, जिन्होंने अपनी दृढ़ निष्ठा, कड़ी मेहनत और निर्णय लेने की क्षमता से ना केवल भारतीय राजनीति, बल्कि अर्थव्यवस्था और कानूनी व्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी जयंती 28 दिसंबर को है और इस अवसर पर हम उनकी यात्रा और कार्यों को याद करते हैं, जिन्होंने उन्हें देशभर में एक सम्मानित नेता के रूप में स्थापित किया।

प्रारंभिक जीवन और राजनीति में कदम

अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में हुआ था। उनका छात्र जीवन भी राजनीति से जुड़ा हुआ था। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ाई के दौरान ही उनका राजनीति में कदम रखा। जेटली भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़कर सक्रिय हुए। उनकी नेतृत्व क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे डीयू के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। बाद में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और दिल्ली हाई कोर्ट में वकील के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।

आपातकाल के दौरान संघर्ष

इंदिरा गांधी के शासनकाल में 1975 में देश में आपातकाल लगाया गया और इसके विरोध में कई नेताओं को जेल में डाला गया। अरुण जेटली भी उन नेताओं में शामिल थे, जिन्हें तिहाड़ जेल में 19 महीने तक बंद रखा गया। इस दौरान उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज नेताओं से मुलाकात की, जिससे उनका राजनीतिक दृष्टिकोण और मजबूत हुआ। यह समय उनके लिए संघर्ष और सीखने का समय था।

अटल सरकार में मंत्री पद की शुरुआत

अरुण जेटली का राजनीति में कॅरियर तब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंचा जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें 1999 में मंत्री पद मिला। पहले उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया, और फिर 2000 में वे भारत के कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री बने। इसके बाद, उन्हें जहाजरानी मंत्रालय का भी प्रभार सौंपा गया। जेटली ने बंदरगाहों के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया, जिससे भारत की व्यापारिक गतिविधियां और समृद्धि को बढ़ावा मिला।

भाजपा के जनरल सेक्रेटरी के रूप में उभरना

2002 में अरुण जेटली को भारतीय जनता पार्टी का जनरल सेक्रेटरी चुना गया। इसके बाद उन्होंने पार्टी के संगठनात्मक मामलों में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी रणनीतिक दृष्टि और नेतृत्व क्षमता ने पार्टी को कई अहम मुद्दों पर आगे बढ़ने में मदद की। 2006 में उन्हें गुजरात से राज्यसभा भेजा गया, और 2009 में वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने।

मोदी सरकार में अहम जिम्मेदारियां

अरुण जेटली का राजनीतिक सफर अटल सरकार तक सीमित नहीं रहा। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्हें मोदी सरकार 1.0 में भी अहम मंत्रालयों का प्रभार मिला। वे वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों के तहत कार्यरत रहे। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में वे अमृतसर सीट से हार गए, फिर भी उनके अनुभव और नेतृत्व को देखते हुए उन्हें केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई।

स्वास्थ्य कारणों से मोदी सरकार 2.0 में मंत्री बनने से मना किया

अरुण जेटली का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था, लेकिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी उन्हें मंत्री पद का ऑफर दिया गया। उन्होंने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्री बनने से मना कर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि उन्हें कोई भी सरकारी दायित्व न सौंपा जाए।

अरुण जेटली का योगदान क्रिकेट से लेकर राजनीति तक

अरुण जेटली का योगदान केवल राजनीति और कानून के क्षेत्र में ही नहीं था, बल्कि उन्होंने दिल्ली क्रिकेट के विकास में भी अहम भूमिका निभाई। 2019 में दिल्ली के ऐतिहासिक फिरोज शाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर ‘अरुण जेटली स्टेडियम’ रखा गया, जो उनकी क्रिकेट के प्रति प्रेम और योगदान का प्रतीक है।

अरुण जेटली का जीवन एक प्रेरणा है, जो न केवल राजनीति में उनकी उपलब्धियों की कहानी सुनाता है, बल्कि उनके संघर्ष और समर्पण की भी मिसाल पेश करता है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, चाहे वह वित्तीय सुधार हों, कानूनी सुधार हों, या फिर भारतीय क्रिकेट के प्रति उनकी प्रतिबद्धता। 28 दिसंबर को उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, और उनका नाम भारतीय राजनीति के इतिहास में हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा।

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