सेंट्रल डेस्क : हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास, वर्ष का चौथा महीना होता है, जो इस बार 12 जून 2025, गुरुवार से प्रारंभ होकर 21 जुलाई 2025 तक चलेगा। आषाढ़ माह को कामनापूर्ति का महीना, संधिकाल और देवताओं की आराधना का विशेष समय माना जाता है।
धार्मिक महत्व : किसकी पूजा करें
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के अनुसार आषाढ़ मास में मुख्य रूप से इन देवताओं की उपासना की जाती है:
भगवान विष्णु – पालनहार श्रीहरि की आराधना से संतान सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव – विशेष रूप से संधिकाल में शिवपूजन मोक्षप्रद माना गया है।
गुरु (ब्रहस्पति) – आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें गुरु पूजन का अत्यंत महत्व है।
मां दुर्गा – इस महीने में गुप्त नवरात्रि भी आती है, जो विशेष सिद्धि और साधना के लिए उत्तम मानी जाती है।
सूर्य एवं मंगल – इन ग्रहों को बल देने के लिए भी इस माह में विशेष पूजा करनी चाहिए।
आषाढ़ मास की पूजा विधि
प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
श्रीहरि विष्णु का तुलसी पत्र से पूजन करें और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
मंगलवार और रविवार को मंगलदेव और सूर्यदेव के बीज मंत्रों का जाप करें।
गुरुवार को गुरु की आराधना और ब्राह्मण को भोजन या सामग्री दान दें।
गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की साधना रात्रिकाल में की जाती है।
क्या करें दान
इस माह में इन वस्तुओं के दान से पुण्य की प्राप्ति होती है:
छाता, गुड़, तिल, चावल, नमक, जल पात्र, पीले वस्त्र
धातु का पात्र या सूर्य संबंधित वस्तुएं
ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देना उत्तम
इन बातों का रखें ध्यान
प्याज, लहसुन और मांसाहार से परहेज करें।
तेलयुक्त भोजन से बचें।
फल और जल का सेवन अधिक करें।
बारिश के मौसम में लाई गई चीजें अच्छी तरह धोकर उपयोग करें।
शुभ कार्यों की शुरुआत से बचें – चातुर्मास के कारण आने वाले चार महीने में विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
आषाढ़ माह 2025 के व्रत और त्योहार:
तारीख : व्रत / त्योहार
12 जून : आषाढ़ माह प्रारंभ
29 जून : गुप्त नवरात्रि प्रारंभ
9 जुलाई : गुरु पूर्णिमा
21 जुलाई : आषाढ़ पूर्णिमा (समापन)