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Border-Gavaskar Trophy : भारत की हार से डब्ल्यूटीसी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की एंट्री, 10 साल बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा

by Rakesh Pandey
Border-Gavaskar Trophy
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सिडनी/नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एक और मुश्किल दौर सामने आया है, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांचवें और अंतिम टेस्ट में छह विकेट से हारकर विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल से बाहर हो गया। इस हार के साथ, ऑस्ट्रेलिया ने 10 साल बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीतकर डब्ल्यूटीसी फाइनल में जगह बना ली।

भारत के खराब फॉर्म और खिलाड़ियों की असमर्थता ने इस दौरे को उनके लिए एक बुरे सपने में बदल दिया। अब, भारतीय टीम को स्वदेश लौटने के बाद आत्ममंथन करना होगा और अपनी रणनीतियों पर गंभीर विचार करना होगा। वहीं, ऑस्ट्रेलिया 11 से 15 जून तक लॉर्ड्स में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ डब्ल्यूटीसी फाइनल खेलेगा।

बुमराह की अनुपस्थिति ने भारत को किया कमजोर

भारत के कप्तान जसप्रीत बुमराह की पीठ में जकड़न के बावजूद अगर वह गेंदबाजी करने के लिए फिट होते, तो शायद भारत के लिए 162 रन का लक्ष्य बचाना संभव हो सकता था। लेकिन उनकी अनुपस्थिति ने भारत के लिए स्थिति को और अधिक कठिन बना दिया। बुमराह को श्रृंखला का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया, जिन्होंने पांच मैचों में 32 विकेट लिए, लेकिन टीम की हार को देखते हुए यह उपलब्धि कोई राहत नहीं दे सकी। बुमराह ने मैच के बाद पुरस्कार वितरण समारोह में कहा, ‘यह थोड़ा निराशाजनक है, लेकिन कभी-कभी आपको अपने शरीर का सम्मान करना होता है’।

भारतीय गेंदबाजों का दबाव बनाने में नाकामी

बुमराह की अनुपस्थिति में प्रसिद्ध कृष्णा (65 रन पर 3 विकेट) और मोहम्मद सिराज (69 रन पर 1 विकेट) मेज़बान टीम पर दबाव बनाने में नाकाम रहे। हालांकि, विराट कोहली ने इन दोनों गेंदबाजों पर भरोसा बनाए रखा। कई सफलताओं के बावजूद, दोनों गेंदबाजों ने कई खराब गेंदें फेंकीं, जिससे ऑस्ट्रेलिया ने सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा (41), ट्रेविस हेड (नाबाद 34) और पदार्पण करने वाले ब्यू वेबस्टर (नाबाद 39) की बदौलत चार विकेट पर 162 रन बनाकर जीत दर्ज की।

भारत की बल्लेबाजी में गिरावट

ऑस्ट्रेलिया ने भारत को दूसरी पारी में 157 रन पर समेट दिया। अगर ऋषभ पंत (61) और यशस्वी जायसवाल (22) के अलावा बाकी बल्लेबाजों को देखा जाए, तो भारतीय बल्लेबाजी पूरी तरह से बिखर गई। भारत ने सुबह के सत्र में केवल 16 रन जोड़े और अपने बाकी चार विकेट गंवा दिए। अगर हम पूरी श्रृंखला को देखें, तो भारत 200 रन के आंकड़े को भी पार नहीं कर सका, जो उनकी खराब फॉर्म को दर्शाता है।

कप्तान और मुख्य बल्लेबाजों की परेशानी

रोहित शर्मा और विराट कोहली दोनों को ही तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा और पूरे सत्र में एक अच्छी पारी के लिए संघर्ष करना पड़ा। यशस्वी जायसवाल (391 रन) भारत के शीर्ष स्कोरर रहे, लेकिन इस दौरे में कुल मिलाकर भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। कोहली और रोहित के लिए अब अपनी गिरती फॉर्म को संभालना एक चुनौती बन गया है।

टीम में बदलाव की आवश्यकता

भारतीय क्रिकेट में बदलाव की जरूरत अब अधिक स्पष्ट हो गई है। कुछ अच्छे युवा खिलाड़ी जैसे यशस्वी जायसवाल और नितीश कुमार रेड्डी उभर रहे हैं, लेकिन बड़े नामों का प्रदर्शन कमजोर हो गया है। अब भारतीय क्रिकेट बोर्ड को कड़ी कार्रवाई करनी होगी और यह देखना होगा कि क्या कोच गौतम गंभीर अगले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चक्र के लिए सही विकल्प हैं, क्योंकि उनकी कोचिंग में भारत ने इस सत्र में 10 में से छह टेस्ट मैच गंवाए हैं।

गेंदबाजी विभाग में चिंता

भारतीय टीम के तेज और स्पिन गेंदबाजों की भी चिंता बढ़ी है। बुमराह की अनुपस्थिति ने यह दिखा दिया कि भारत को गेंदबाजी में मजबूती की आवश्यकता है। मोहम्मद सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा के प्रदर्शन पर सवाल उठ रहे हैं, जबकि स्पिन विभाग में रविंद्र जडेजा का असर भी सीमित नजर आया।

अब भारतीय क्रिकेट को अपनी रणनीतियों पर गंभीर विचार करना होगा। नए टेस्ट चक्र में युवा खिलाड़ियों को विकसित होने का समय देना होगा और साथ ही तकनीकी बदलावों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।

ऑस्ट्रेलिया की जीत ने भारत को डब्ल्यूटीसी फाइनल से बाहर कर दिया, लेकिन यह भारत के लिए एक सीखने का अवसर है कि वे किस तरह अपनी कमजोरियों को दूर कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।

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