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Ram Darbar : अयोध्या में राम दरबार दर्शन की तैयारी अंतिम चरण में, जानिए कब खुल सकते हैं द्वार

राम मंदिर के दूसरे तल पर उन दुर्लभ ग्रंथों और पांडुलिपियों को संरक्षित किया जाएगा, जो भगवान श्रीराम से संबंधित हैं। यह तल धार्मिक अध्ययन और शोध के लिए समर्पित रहेगा।

by Anurag Ranjan
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अयोध्या : रामभक्तों के लिए अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पहले तल पर स्थापित राम दरबार के दर्शन अगले 10 दिनों में शुरू हो सकते हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस पर गहनता से विचार कर रहा है। इस निर्णय के बाद लाखों श्रद्धालुओं को भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी के एक साथ दर्शन का सौभाग्य मिलेगा।

व्यापक योजना तैयार कर रहा मंदिर ट्रस्ट

राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, राम दरबार का निर्माण पूर्ण हो चुका है और दर्शन के लिए तैयार है। मंदिर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने जानकारी दी कि आने-जाने के मार्ग, सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। CBRI (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) के विशेषज्ञ इस योजना को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।

जहां टेंट में थे रामलला, वहां एएसआई का पुरातत्व सर्वे शुरू

जहां कभी रामलला तंबू में विराजमान थे, उस पवित्र स्थल पर अब पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम ऐतिहासिक महत्व की जांच और सर्वेक्षण कर रही है। माना जा रहा है कि यह स्थल 500 वर्षों के संघर्ष का साक्षी रहा है, जिसे अब ऐतिहासिक दृष्टि से संरक्षित किया जाएगा।

राम मंदिर परिसर में सप्तऋषि मंदिरों के मध्य बन रहा पुष्करणी कुंड अब अंतिम चरण में है। पंचवटी क्षेत्र के मास्टर प्लान पर भी कार्य शुरू हो चुका है। प्रकृति से छेड़छाड़ न करते हुए यहां पौधरोपण किया जा रहा है ताकि पशु-पक्षियों को जल और छांव मिल सके।

दुर्लभ ग्रंथों का होगा संरक्षण

राम मंदिर के दूसरे तल पर उन दुर्लभ ग्रंथों और पांडुलिपियों को संरक्षित किया जाएगा, जो भगवान श्रीराम से संबंधित हैं। यह तल धार्मिक अध्ययन और शोध के लिए समर्पित रहेगा।

15 अगस्त तक पूर्ण होगा मंदिर के उत्तरी द्वार का निर्माण

नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि मंदिर के उत्तर दिशा में स्थित प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और इसे 15 अगस्त तक पूरा कर लिया जाएगा।

भारत सरकार की कई संस्थाओं ने निभाई अहम भूमिका

राम मंदिर निर्माण में रक्षा मंत्रालय, रेल मंत्रालय और अन्य सरकारी संस्थाओं का विशेष योगदान रहा है। मंदिर की संरचना में टाइटेनियम की मजबूत जाली लगाई जा रही है, जिससे इसकी सुरक्षा और मजबूती और भी अधिक सुनिश्चित की जा सके।

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