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Jharkhand Assembly में लगे बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा, मंत्री राधाकृष्ण किशोर की मांग

मंत्री किशोर ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि डॉ. अंबेडकर ने दलितों, महिलाओं, श्रमिकों और किसानों के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष किया।

by Reeta Rai Sagar
Babasaheb Ambedkar statue demand in Jharkhand Assembly by Minister Radhakrishna Kishore
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रांची: झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो से एक महत्वपूर्ण मांग की है। उन्होंने विधानसभा परिसर में संविधान निर्माता और सामाजिक क्रांति के अग्रदूत बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की आदमकद प्रतिमा लगाने की सिफारिश की है।
मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने विधानसभा अध्यक्ष को संबोधित पत्र में लिखा कि बाबा साहेब सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि वे एक विचार और सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा थे। उन्होंने लिखा कि बाबा साहेब का जीवन देश की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक एकता व अखंडता का प्रतीक है।

बाबा साहेब: संघर्ष, शिक्षा और समानता की मिसाल

14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक दलित परिवार में जन्मे डॉ. भीमराव अंबेडकर ने समाज में व्याप्त विषमता को चुनौती दी। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, जो उस समय एक असाधारण उपलब्धि थी।

मंत्री किशोर ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि डॉ. अंबेडकर ने दलितों, महिलाओं, श्रमिकों और किसानों के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष किया। उनका समर्पण छुआछूत के खिलाफ चलाए गए आंदोलनों से लेकर भारतीय संविधान के निर्माण तक देखा जा सकता है।

संविधान निर्माता का सम्मान जरूरी: प्रतिमा लगे विधानसभा परिसर में

राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि अंबेडकर ने न केवल दलित समुदाय को सशक्त किया, बल्कि समता, करुणा और बंधुत्व पर आधारित समाज की नींव भी रखी। उन्होंने कहा कि विधानसभा परिसर में उनकी प्रतिमा स्थापित करना उनके विचारों और संघर्षों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यह युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

उन्होंने लिखा, “डॉ. अंबेडकर ने भारत को वो अधिकार दिए जो हर नागरिक की स्वतंत्रता, समानता और न्याय सुनिश्चित करते हैं। उनके विचार हर वर्ग के लिए मार्गदर्शक हैं।”

अंबेडकर की प्रतिमा से मिलेगी सामाजिक न्याय को नई पहचान

मंत्री राधाकृष्ण किशोर की यह मांग न सिर्फ प्रतीकात्मक है, बल्कि यह एक ऐसे युगद्रष्टा को सम्मान देने की पहल है जिन्होंने करोड़ों लोगों को सामाजिक न्याय और सम्मान का मार्ग दिखाया।

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