रांची: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर राज्य सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने आयुष्मान भारत योजना को कमजोर कर राज्य की गरीब जनता को उसके स्वास्थ्य अधिकार से वंचित कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा झारखंड से शुरू की गई आयुष्मान योजना देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है, लेकिन राज्य में इसे जानबूझकर शिथिल किया गया है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में 30 बेड और शहरी क्षेत्रों में 50 बेड की अनिवार्यता तय की है, जो केंद्र की 10 बेड वाले हॉस्पिटल की शर्त से मेल नहीं खाती। इससे छोटे अस्पताल योजना से बाहर हो गए हैं और बड़े अस्पतालों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
अस्पतालों को नहीं मिल रहा भुगतान
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत राज्य में सूचीबद्ध 750 अस्पतालों में से 538 को फरवरी 2025 से भुगतान नहीं हुआ है, वहीं 212 अस्पतालों को पिछले 10 महीनों से बकाया भुगतान नहीं मिला है। इसके चलते कई अस्पतालों ने इलाज बंद कर दिया है और गरीब जनता दर-दर भटकने को मजबूर है। बाबूलाल ने मांग की कि राज्य सरकार तत्काल भुगतान करे और 10 बेड के अस्पतालों को भी योजना में शामिल करे।
सरना धर्म कोड पर सरकार को घेरा
सरना धर्म कोड के मुद्दे पर मरांडी ने कांग्रेस और झामुमो को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अगर सरना कोड को लेकर ये पार्टियां गंभीर हैं तो पहले आदिवासी धर्म-संस्कृति की रक्षा करें। उन्होंने 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आदिवासी समाज में तेजी से धर्मांतरण हुआ है। उरांव, मुंडा, खड़िया जैसी जनजातियों में ईसाई आबादी में बड़ा इजाफा हुआ है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने मांग की कि राज्य में धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए धर्म स्वतंत्रता कानून को सख्ती से लागू किया जाए। उन्होंने हेमंत सोरेन और राहुल गांधी से आग्रह किया कि वे झारखंड की 32 जनजातियों की संस्कृति, परंपरा और आस्था को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं।