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Jharkhand Politics: गिरिडीह में आदिवासी बेटी के अपहरण पर बाबूलाल मरांडी ने उठाए सवाल, सरकार पर लगाया निष्क्रियता का आरोप

हेमंत सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि आरोपी का धर्म और वोट बैंक देखकर ही कानून का पालन किया जाए।

by Reeta Rai Sagar
Babulal Marandi on stage.
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Giridih (Jharkhand) : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर हेमंत सोरेन सरकार की कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाए हैं। इस बार उन्होंने गिरिडीह जिले के भेलवाघाटी थाना क्षेत्र में एक आदिवासी लड़की के अपहरण के मामले में पुलिस की कार्रवाई पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। मरांडी ने सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार पर आरोप लगाया है कि झारखंड में कानून धर्म और वोट बैंक देखकर तय किया जा रहा है।

आदिवासी बेटी के अपहरण पर पुलिस की सुस्त कार्रवाई

बाबूलाल मरांडी ने अपने पोस्ट में कहा कि गिरिडीह जिले में एक और आदिवासी बेटी का अपहरण हुआ। आठ दिनों तक लापता रहने के बाद जब लड़की मिली, तो उसके परिवार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन, पुलिस द्वारा इस मामले में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि हेमंत सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि आरोपी का धर्म और वोट बैंक देखकर ही कानून का पालन किया जाए।

झारखंड में आदिवासी बेटियों को बनाया जा रहा निशाना : बाबूलाल

मरांडी ने कहा कि उन्होंने इस सरकार के कार्यकाल में लगातार देखा है कि किस तरह झारखंड में आदिवासी बेटियों को निशाना बनाया जा रहा है। कभी उन्हें जबरन गायब कर दिया जाता है, तो कभी धर्मांतरण की साजिश में फंसाया जाता है। दुष्कर्म और हत्या जैसी घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं, और हर बार सरकार की प्रतिक्रिया एक जैसी ही रहती है। न तो कोई संवेदना दिखाई जाती है, न ही कोई तत्काल कार्रवाई होती है, और न ही सरकार की ओर से कोई राजनीतिक जवाबदेही तय की जाती है। उन्होंने सरकार की इस चुप्पी को अब ‘निष्क्रियता’ न कहकर अपराध में ‘भागीदारी’ बताया है।

आदिवासी समाज में गुस्सा, बेटियों में डर का माहौल

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आज आदिवासी समाज में इस बात को लेकर गहरा गुस्सा है। हमारी बेटियां डर के साए में जी रही हैं। गांवों में असुरक्षा की भावना व्याप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जो सरकार अपनी बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती, जो सरकार उन्हें न्याय नहीं दिला सकती, और जो सरकार सिर्फ राजनीतिक लाभ-हानि देखकर अपनी प्रतिक्रिया तय करती है, उसे आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने मांग की कि इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी जल्द से जल्द होनी चाहिए।
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