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BIHAR ELECTION 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : मायावती की पार्टी अकेले लड़ेगी, गठबंधन से किया इनकार

by Rakesh Pandey
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पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और सभी प्रमुख दल अपनी-अपनी रणनीतियां तय करने में जुटे हैं। दिल्ली चुनावों के बाद अब सभी की नजर बिहार पर है। इस बीच, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा एलान किया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी और किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी।

बीएसपी का बड़ा फैसला: 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

बिहार में जहां अक्सर गठबंधन की राजनीति होती रही है, वहीं बीएसपी ने इस बार अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। पार्टी के बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि बहुजन समाज पार्टी 2025 के विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीएसपी किसी भी अन्य दल से गठबंधन नहीं करेगी और पार्टी अपनी ताकत पर चुनाव मैदान में उतरेगी।

कार्यकर्ताओं को मिलेगा प्राथमिकता

बीएसपी ने अपने कार्यकर्ताओं को विशेष प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। पार्टी ने तय किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं को टिकट दिया जाएगा। पटना स्थित पार्टी कार्यालय में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में बिहार प्रभारी अनिल कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतारेगी ताकि वे अपनी मेहनत का फल प्राप्त कर सकें।

नीतीश सरकार पर निशाना

बीएसपी के बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने नीतीश कुमार की सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री के तौर पर अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे हैं और उनकी हालत खराब है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि बिहार में असल शासन सत्ता का संचालन कोई और कर रहा है और नीतीश कुमार केवल एक चेहरा बने हुए हैं। अनिल कुमार का यह बयान बिहार में राजनीतिक तख्तापलट की संभावनाओं को लेकर नई चर्चा शुरू कर सकता है।

बिहार में बीएसपी की रणनीति

बीएसपी का यह कदम बिहार की राजनीति में एक नई दिशा को जन्म दे सकता है। जहां एक ओर अन्य दल गठबंधन की राजनीति पर जोर दे रहे हैं, वहीं बीएसपी ने इस बार गठबंधन से दूर रहने का फैसला किया है। इसके जरिए पार्टी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह अपने बलबूते चुनावी सफलता प्राप्त करना चाहती है। यह एक तरह से पार्टी की स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता का संकेत भी हो सकता है।

बीएसपी ने बिहार में पार्टी की उपस्थिति को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी आगामी चुनावों में अपनी पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी। अगर बीएसपी की यह रणनीति सफल रहती है, तो यह राज्य की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।

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