Ranchi (Jharkhand) : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय महामंत्री बजरंग बागड़ा ने रांची प्रवास के दौरान हिंदू समाज को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज ने सदियों की गुलामी झेली, लेकिन आज अपनी पारंपरिक कुटुंब प्रणाली और जनसंख्या नीति में हो रहे बदलावों के कारण अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है।
हिंदू समाज को चाहिए सामूहिकता और तीन बच्चों की नीति
बागड़ा दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार को रांची पहुंचे और होटल ग्रीन एकर्स में विहिप से जुड़े अधिवक्ताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इसके अलावा उन्होंने हटिया में सामाजिक समरसता से जुड़े लोगों तथा मोरहाबादी में व्यापारियों के साथ भी चर्चा की।
अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए बजरंग बागड़ा ने कहा कि यदि हिंदू परिवारों ने सामूहिकता की भावना नहीं अपनाई और प्रजनन दर को कम से कम तीन बच्चों तक नहीं बढ़ाया, तो आने वाले वर्षों में हिंदुओं की जनसंख्या मुसलमानों से कम हो सकती है। उन्होंने कहा कि जब हिंदुओं की संख्या घटेगी तो उनका वोट प्रतिशत भी कम होगा, जिससे वे शासन प्रणाली में भागीदारी खो सकते हैं।
कुटुंब और विवाह प्रणाली में बदलाव खतरनाक
बागड़ा ने कहा कि भारतवर्ष के हिंदुओं ने 750 वर्षों के इस्लामिक शासन और 200 वर्षों के ईसाई शासन का सामना किया, लेकिन तब भी वे अपने परिवार व्यवस्था और विवाह प्रणाली के चलते टिके रहे। आज उस संस्कारों और मूल्यों में जो गिरावट आ रही है, वही हिंदू समाज को सबसे बड़ा खतरा है।
धार्मिक आयोजनों से जागरण, लेकिन जीवन दृष्टि में भी बदलाव जरूरी
बजरंग बागड़ा ने प्रयागराज महाकुंभ में 66 लाख हिंदुओं की भागीदारी और श्रीराम मंदिर अभियान की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह ऊर्जा सिर्फ मंदिरों और धार्मिक आयोजनों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। इसे हिंदू जीवन शैली और सामाजिक मूल्यों में भी उतारना होगा।
अधिवक्ताओं और न्यायिक प्रतिनिधियों की मौजूदगी
इस कार्यक्रम में विहिप के क्षेत्र मंत्री वीरेन्द्र विमल, झारखंड प्रांत मंत्री मिथिलेश्वर मिश्र, संयोजक रंगनाथ महतो, संगठन मंत्री देवी सिंह, विधि प्रकोष्ठ प्रमुख राजेंद्र कृष्णा, सेवानिवृत्त जज शिवपाल सिंह सहित झारखंड हाईकोर्ट और सिविल कोर्ट, रांची के कई अधिवक्ता मौजूद थे।
हम सभी हिंदू सहोदर हैं, बिरसानगर की समरसता संगोष्ठी
बिरसानगर हटिया में आयोजित समरसता संगोष्ठी को संबोधित करते हुए बजरंग बागड़ा ने कहा कि सभी हिंदू एक ही मां भारत माता की संतान हैं, इसलिए हम सहोदर भाई हैं। उन्होंने जातिगत भेदभाव से ऊपर उठकर संगठित हिंदू समाज के निर्माण की अपील की। उनका कहना था कि समरसतायुक्त, संगठित समाज ही धर्म और राष्ट्र की रक्षा कर सकता है।