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बालासोर रेल हादसा: पांच दिन बाद शालीमार से रवाना हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस

by Rakesh Pandey
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शालीमार : ओडिशा के बालासोर जिले में भीषण हादसे का शिकार होने के पांच दिन बाद शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस की अप ट्रेन बुधवार को अपने तय समय से पांच मिनट की देरी से अपराह्न तीन बजकर 25 मिनट पर शालीमार स्टेशन से रवाना हुई. शालीमार स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर ट्रेन के पहुंचते ही लोगों में उसके द्वितीय श्रेणी के दो डिब्बों में चढ़ने की होड़ लग गयी और जल्दी ही दोनों डिब्बे खचाखच भर गये. ट्रेन में कई लोग थे. उनमें से एक रंजीत मंडल दो जून को हुए हादसे के बाद से लापता अपने बेटे की तलाश में इससे भुवनेश्वर जा रहे हैं. संदेशखली के रहने वाले मंडल ने बताया कि उनका 18 साल का बेटा दीपांकर चेन्नई में काम की तलाश के लिए अपने दोस्तों के साथ दुर्घटनाग्रस्त हुई ट्रेन में सवार हुआ था. उन्होंने कहा, दुर्घटना के बाद से ही उसका फोन बज तो रहा है, लेकिन कोई उठा नहीं रहा है. मैंने दुर्घटना से कुछ ही मिनट पहले उससे बात की थी. उसका अभी तक पता नहीं लगा है और मैं फिर से उसे खोजने जा रहा हूं. इसी ट्रेन में सवार स्वाति चमोली का कहना था कि मैं काम से चेन्नई जा रही हूं. आशा करती हूं कि यात्रा सुरक्षित रहेगी. वहीं, परोमिता ने कहा, आशा करती हूं कि कुछ गलत नहीं होगा. मुझे डर लग रहा है, आशा करती हूं यात्रा सुरक्षित रहेगी. कोरोमंडल अप में सवार होने के लिए स्टेशन पर लगी लंबी लाइन में खड़े पसीना पोंछ रहे माणिक बौरी पेशे से रसोइया हैं और वह काम की तलाश में और इलाज के लिए चेन्नई जा रहे हैं. अप कोरोमंडल एक्सप्रेस की द्वितीय श्रेणी की बोगी में सवार होने के लिए खड़े लोगों में से ज्यादातर पेशे से कामगार, रसोइया, रेस्तरां में काम करने वाले या खाना पहुंचाने वाले लोग हैं जो काम की तलाश में या अपने काम पर चेन्नई, वैजाग आर अन्य औद्योगिक शहरों में लौट रहे हैं. कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास बैठने की जगह नहीं है और वे खड़े हैं. सुंदरबन डेल्टा में गंगासागर के रहने वाले राजूपाल ने कहा, बंगाल में इंतजार करने का कोई मतलब नहीं है. मुझे जाना है. दुर्घटना के बाद से मैं भी डरा हुआ हूं, लेकिन मैं 12 साल से इस ट्रेन से यात्रा कर रहा हूं.

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