नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के इंटरनेट मीडिया पर बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए एक अभूतपूर्व कदम उठाया गया है। ऑस्ट्रेलियाई संसद में एक नया बिल पेश किया गया है, जिसमें 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिक-टॉक और ट्विटर से दूर रखने का प्रस्ताव है। यदि सोशल मीडिया कंपनियां इस नियम को लागू करने में विफल रहती हैं, तो उन्हें भारी जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
बिल का उद्देश्य और जुर्माना
ऑस्ट्रेलिया की संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने इस बिल को पेश करते हुए कहा कि यदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स छोटे बच्चों को अकाउंट बनाने से रोकने में असमर्थ रहते हैं, तो उन पर 33 मिलियन डॉलर (करीब 278 करोड़ रुपए) का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी
ऑस्ट्रेलियाई सरकार का मानना है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हिंसक या अनैतिक सामग्री से बच्चों की पहुंच को नियंत्रित किया जाना चाहिए। सरकार के अनुसार, इंटरनेट मीडिया कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सेवाओं का इस्तेमाल बच्चे न करें, और यदि कंपनियां इसमें असफल रहती हैं, तो उन्हें आर्थिक रूप से दंडित किया जाएगा।
एक साल का समय मिलेगा सोशल मीडिया कंपनियों को
इस बिल को अगर संसद से पूरा समर्थन मिलता है, तो इसे कानून बनाने के बाद सोशल मीडिया कंपनियों को इसे लागू करने के लिए एक वर्ष का समय दिया जाएगा। इसके बाद, यदि कंपनियां 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपनी प्लेटफार्म्स पर अनुमति देती हैं, तो उन्हें भारी जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता
ऑस्ट्रेलिया के संचार मंत्री मिशेल रोलैंड के अनुसार, एक सरकारी शोध में यह सामने आया कि 95 प्रतिशत पेरेंट्स अपने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को एक बड़ी चुनौती मानते हैं। इस कदम से बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव को कम करने की कोशिश की जा रही है।