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Bengal Anti Rape Bill : बंगाल Governor ने ‘अपराजिता बिल’ राष्ट्रपति के पास भेजा, जानिए क्या है इस बिल में

by Rakesh Pandey
Bengal Anti Rape Bill
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कोलकाता : Bengal Anti Rape Bill : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले के बाद पश्चिम बंगाल में लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। इसी मामले में न्याय की मांग को लेकर डॉक्टर समेत अलग-अलग सामाजिक संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

इस घटना के बाद ममता बनर्जी की सरकार को लगातार घेरा जा रहा है। 3 सितंबर को ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा में रेप और हत्या के मामलों में फांसी की सजा के प्रावधान वाले बिल को पास कर दिया था। जिसके बाद इस बिल को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस के पास भेजा गया था, लेकिन उन्होंने इस बिल पर रोक लगा दी है। अब ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि राज्यपाल आनंद बोस ने इस विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के पास भेज दिया है, ताकि वो इस पर विचार कर सकें।

वहीं इससे पहले राज्यपाल ने राज्य सरकार से विधेयक की तकनीकी रिपोर्ट मांगी थी। राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत राजभवन पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल को विधेयक की तकनीकी रिपोर्ट सौंपी। राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने राज्य सरकार से अनिवार्य तकनीकी रिपोर्ट मिलने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा है।

Bengal Anti Rape Bill : 3 सितंबर को विधानसभा में पारित हुआ विधेयक

बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 3 सितंबर को सर्वसम्मति से ‘अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024’ पारित किया था। इस विधेयक में दुष्कर्म के दोषियों के लिए मृत्युदंड के प्रावधान की बात कही गई थी।राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने नियमों के तहत बहस का पाठ और उसका अनुवाद उपलब्ध कराने में विधानसभा सचिवालय की विफलता पर अपनी नाराजगी जताई है।

इसके साथ ही बयान में ये भी कहा गया है कि तीखी बहस, आपसी आरोप-प्रत्यारोप, राजनीतिक धमकियों और अल्टीमेटम के अंत में मुख्यमंत्री ने राज्यपाल द्वारा विधेयक को मंजूरी न दिए जाने पर राजभवन के बाहर धरना देने की धमकी दी थी।

Bengal Anti Rape Bill : राज्यपाल ने ममता के बयान पर जताई आपत्ति

वहीं राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के धमकाने वाले रुख पर नाराजगी जताई और सरकार को कानूनी और संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई। राज्यपाल ने कहा कि लोग बिल के लागू होने तक इंतजार नहीं कर सकते।

वे न्याय चाहते हैं और उन्हें मौजूदा कानून के दायरे में न्याय मिलना चाहिए। सरकार को प्रभावी तरीके से काम करना चाहिए, लोगों को न्याय मिलना चाहिए। अपनी प्यारी बेटी को खोने वाली शोक संतप्त मां के आंसू पोंछना सरकार का कर्तव्य है। राज्यपाल ने बिल में खामियों की ओर इशारा किया और सरकार को जल्दबाजी में जवाब देने की बजाय अपना होमवर्क करने की सलाह दी।

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