बेतिया: बिहार में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव द्वारा दिए गए बयान को लेकर बेतिया से बीजेपी सांसद और वक्फ संशोधन विधेयक के जेपीसी सदस्य डॉ. संजय जायसवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। तेजस्वी यादव ने कहा था कि यदि उनकी सरकार बनी तो वक्फ संशोधन विधेयक को कूड़ेदान में डाल देंगे। इस पर पलटवार करते हुए डॉ. संजय जायसवाल ने तेजस्वी यादव को कानून पढ़ने की सलाह दी और उनकी ज्ञान पर सवाल उठाए।
तेजस्वी को कानून पढ़ने की दी नसीहत:
डॉ. संजय जायसवाल ने कहा, “तेजस्वी यादव खुद तो पढ़े-लिखे नहीं हैं और खुद पढ़ना भी नहीं चाहते। वह वक्फ संशोधन विधेयक को समझने में असमर्थ हैं। बिहार में वक्फ बोर्ड की जमीन से आज तक किसी गरीब का भला नहीं हुआ और भविष्य में भी ऐसा कभी नहीं होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव को यह विधेयक समझने के लिए कानून पढ़ने की आवश्यकता है। साथ ही, वह यह भी बोले कि तेजस्वी यादव अपने माता-पिता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं, जो भ्रष्टाचार और जमीन कब्जे के आरोपों से जुड़े हैं।
लालू यादव के समय से जमीन पर कब्जा:
सांसद ने आरोप लगाया कि फ्रेजर रोड पर जो बड़ी संपत्ति है, उसका एक बड़ा हिस्सा वक्फ बोर्ड का है, और लालू यादव के समय में इस जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। उन्होंने एक उदाहरण भी दिया, जिसमें एक व्यक्ति ने बताया कि 1880 में उसके परदादा ने बेगूसराय में 175 एकड़ जमीन वक्फ को दान की थी, लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड को केवल 50 एकड़ जमीन मिली, जबकि बाकी जमीन को वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रिश्तेदारों ने बेच दिया।
वक्फ बोर्ड की संपत्ति और उसका दुरुपयोग:
डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार में वक्फ बोर्ड की कुल संपत्ति 30,000 एकड़ है, और देश भर में यह संख्या 37 लाख 30 हजार एकड़ तक जाती है। उन्होंने कहा कि बिहार में वक्फ बोर्ड की 700 संपत्तियां ऐसी हैं, जिन पर कब्जा किया गया है या जिनके साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अजमेर दरगाह की संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा दरभंगा में स्थित है, लेकिन आज तक दरभंगा से दरगाह को कोई पैसा नहीं भेजा गया।
तेजस्वी यादव पर व्यक्तिगत हमला:
संजय जायसवाल ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव का समर्थन केवल मुस्लिम अपराधियों को ही मिलता रहा है, जबकि नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं और महिलाओं को रोजगार देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस तरह, उनका यह बयान राजनीतिक रूप से तेजस्वी यादव के खिलाफ एक तीखा हमला था, जिसमें उन्होंने उन्हें कानून की जानकारी न होने का आरोप लगाया।