पटना: बिहार की राजनीति में आज पटना एक बार फिर केंद्र बन गया है, जहां सत्ताधारी पार्टी जदयू (JDU) ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर ‘भीम संवाद’ और ‘दीपोत्सव’ जैसे आयोजनों की शुरुआत की है। इन आयोजनों के केंद्र में हैं- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो एक बार फिर से दलित वोट बैंक को साधने के लिए मैदान में उतर चुके हैं।
क्या है ‘भीम संवाद’?
पटना के बापू सभागार में आयोजित ‘भीम संवाद’ कार्यक्रम में दलित समाज के हजारों प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी और जदयू के नेता एक मंच पर इकट्ठा हुए हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस आयोजन में मुख्य वक्ता होंगे और दलित समाज को लेकर अपने विकास मॉडल और योजनाओं की जानकारी देंगे।
‘दीपोत्सव’ से अशिक्षा के खिलाफ संकल्प
14 अप्रैल को जदयू की ओर से एक विशेष ‘दीपोत्सव’ भी आयोजित किया जा रहा है। इसके तहत कार्यकर्ता और नेता अपने-अपने घरों पर दीप जलाकर “अशिक्षा रूपी अंधकार को मिटाने” का संकल्प लेंगे।
यह आयोजन पहले गांधी मैदान में होना था, लेकिन बाद में इसे अन्य स्थानों पर विभाजित कर स्थानीय स्तर पर मनाने का निर्णय लिया गया।
‘हां, हम दलित हैं’ — नया राजनीतिक नारा
पटना की सड़कों पर इन दिनों एक स्लोगन चर्चा का विषय बना हुआ है- “हां, हम दलित हैं।”
इस नारे के जरिए जदयू साफ संदेश देना चाहती है कि वह दलित समाज के साथ है और उनके मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी। राजधानी में जगह-जगह पोस्टर-बैनर और होर्डिंग्स लगाए गए हैं, जिनमें नीतीश कुमार बाबा साहब को श्रद्धांजलि देते नजर आ रहे हैं।
राजनीतिक मायने: क्यों जरूरी है दलित वोट बैंक?
बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 38 सीटें अनुसूचित जातियों (SC) के लिए आरक्षित हैं। राजनीतिक विश्लेषक प्रिय रंजन भारती के अनुसार, “दलित जिस पार्टी के साथ जाएंगे, उस पार्टी की सरकार बनना तय है। 2020 में जदयू को केवल 8 आरक्षित सीटों पर जीत मिली थी, जबकि पिछली बार यानी 2010 में यह आंकड़ा 19 था। इस गिरावट ने पार्टी को अंदर से झकझोर दिया।”
चुनावी रणनीति का हिस्सा है यह आयोजन
JDU प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा का दावा है कि “नीतीश कुमार ने ही बिहार में दलितों के लिए सबसे ज्यादा काम किया है। राजनीतिक भागीदारी से लेकर सामाजिक योजनाएं, सब कुछ नीतीश मॉडल का हिस्सा हैं।”
नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही योजनाएं जैसे SC/ST छात्रावास, साइकिल योजना, छात्रवृत्ति, कौशल विकास आदि को भी कार्यक्रम में उजागर किया जाएगा।
आगामी चुनावों की तैयारी शुरू
बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव संभावित हैं और इस बार नीतीश कुमार कोई मौका नहीं चूकना चाहते। एनडीए में दलित चेहरे जैसे चिराग पासवान और जीतन राम मांझी पहले से मौजूद हैं, ऐसे में जदयू के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह भी अपना सामाजिक आधार मजबूत करे।