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Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद जहरीले कचरे को किया जा रहा डिस्पोज

3 दिसंबर 1984 की रात हुए इस हादसे में 5,489 लोगों की जाने गई औऱ लाखों लोग गंभीर बीमारियों और विकलांगता का शिकार हुए। इस हादसे में मिथाइल आइसोसाइनाइट नाम की गैस लीक हुई थी।

by Reeta Rai Sagar
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भोपालः दुनिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्रियल ट्रेजेडी में से एक भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल बीत गए, लेकिन अब तक इस जहरीले कचरे को भोपाल से बाहर नहीं निकाला गया था। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस जहरीले कचरे को डिस्पोज करने की कवायद शुरू की गई है।

377 मिट्रिक टन कचरे का होगा निस्तारण

2-3 दिसंबर 1984 की रात हुए इस हादसे में 5,489 लोगों की जाने गई औऱ लाखों लोग गंभीर बीमारियों और विकलांगता का शिकार हुए। इस हादसे में मिथाइल आइसोसाइनाइट नाम की गैस लीक हुई थी। अब इस वीभत्स हादसे के 40 साल बाद 377 मिट्रिक टन जहरीले कचरे को हटाने का काम शुरू किया गया है।

100 पुलिसकर्मी औऱ 300 कर्मचारी काम में जुटे

इस कचरे को 250 किलोमीटर दूर इंदौर से सटे पीथमपुर भेजा जा रहा है, जहां इस कचरे को साइंटिफिकली डिस्पोज किया जाएगा। सुरक्षा के लिहाज से इस कचरे को पीथमपुर तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। इस काम में 100 से अधिक पुलिसकर्मी, विशेषज्ञ और 300 कर्मचारी इस काम में जुटे हुए है।

पूर्व सांसद ने कहा, विशेषज्ञों की निगरानी में हो डिस्पोजल

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद लिए गए इस कदम से भोपालवासियों को बहुत राहत मिली है। बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने गुरुवार को कहा कि भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े 337 मिट्रिक टन जहरीले कचरे का निस्तारण वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जब हम भयावह भोपाल गैस त्रासदी को याद करते हैं तो हमारा दिल कांप जाता है। यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकलने वाले जहरीले कचरे का निपटान किया जाना चाहिए। हालांकि, यह वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और स्थानीय निवासियों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद किया जाना चाहिए, क्योंकि यह लोगों के स्वास्थ्य का सवाल है। बता दें कि सुमित्रा महाजन ताई 1989 से 2019 तक इंदौर की सांसद रही है।

पर्यावरण, भूमि और जल स्रोतों पर पड़ सकता है प्रतिकूल प्रभाव

आगे इंदौर की पूर्व सांसद ने कहा कि इस कचरे का निपटान कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। चर्चा में इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि पीथमपुर में कचरा नष्ट होने के बाद पर्यावरण, भूमि और जल स्रोतों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा या नहीं। भोपाल के लोग पीढ़ियों से गैस त्रासदी के दुष्प्रभावों से पीड़ित हैं। इसलिए इस कचरे का निपटान पूरी सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। महाजन ने विश्वास व्यक्त किया कि केंद्र और मध्य प्रदेश सरकारें इसका उचित तरीके से निपटान करेंगी।

विपक्ष का दावा, इंदौर के लोगों में कैंसर का खतरा

इससे पहले, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने महाजन से उनके इंदौर आवास पर मुलाकात की और योजना के निस्तारण में उनकी मदद मांगी। पटवारी ने दावा किया कि इस कचरे के निस्तारण से पीथमपुर और इंदौर के लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। हम मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहते। लेकिन जब तक पीथमपुर में कचरा निस्तारण पर विशेषज्ञों की स्पष्ट राय नहीं आ जाती, तब तक इस प्रक्रिया को रोक दिया जाना चाहिए।

ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया

भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 337 टन कचरा धार जिले की एक इकाई में निस्तारण के लिए भेजा गया है। इसे बुधवार रात लगभग 9 बजे 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में भोपाल से धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र तक ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के माध्यम से 250 किमी दूर ले जाया गया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कड़ी सुरक्षा के बीच पीथमपुर स्थित एक फैक्ट्री में वृहस्पतिवार तड़के करीब साढ़े चार बजे वाहन पहुंचे, जहां कचरे का निस्तारण किया जाएगा।

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