वाराणसी: भारत में तीज-त्योहारों की तिथि को लेकर अक्सर कन्फ्यूजन की स्थिति रहती है, जिसके कारण कई बार त्योहारों की तिथियां अलग-अलग होती हैं। लेकिन अब इस कन्फ्यूजन को खत्म करने की दिशा में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। BHU का संस्कृत विद्या धर्म संकाय अब एक साइंटिफिक पंचांग तैयार करने की प्रक्रिया में जुटा है, जो देशभर में लागू होगा और जिससे सभी तीज-त्योहार एक ही फिक्स तारीख पर मनाए जा सकेंगे।
साइंटिफिक पंचांग की आवश्यकता
हर साल तीज-त्योहारों के समय यह सवाल उठता है कि किस दिन त्योहार मनाना है। इस कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए BHU के ज्योतिष विभाग ने एक अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें विद्वानों से विचार-विमर्श किया गया कि कैसे पंचांग में एकरूपता लाई जा सकती है। इसके बाद BHU ने एक ऐसा पंचांग तैयार करने की पहल की है, जो वैदिक गणित और आधुनिक सॉफ्टवेयर के संयोजन से बनेगा।
पंचांग की एकरूपता के लिए की जा रही तैयारी
BHU के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शत्रुघ्न त्रिपाठी ने बताया कि देश में पंचांग बनाने की दो प्रमुख विधाएं प्रचलित हैं – निर्बीज और सबीज। निर्बीज पद्धति वैदिक सिद्धांतों पर आधारित है, जबकि सबीज पद्धति पोजीशनल एस्ट्रोनॉमी पर आधारित है, जो नासा द्वारा ग्रहों की स्थिति का डेटा उपयोग करती है। दोनों पद्धतियों में बड़ा अंतर होने के कारण तिथियों में भिन्नताएं देखने को मिलती हैं।
प्रोफेसर त्रिपाठी के अनुसार, BHU निर्बीज पद्धति का पालन करेगा, जो वैदिक सिद्धांतों पर आधारित है। इस पद्धति में सूर्य सिद्धांत का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे आदि गुरु शंकराचार्य ने भी अपने समय में स्वीकार किया था। BHU इस पद्धति को अपनाकर पंचांग की एकरूपता को सुनिश्चित करेगा और सभी त्योहारों को एक निश्चित तिथि पर मनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सूर्य सिद्धांत का महत्व
सूर्य सिद्धांत, जो आर्य परंपरा का महत्वपूर्ण ग्रंथ है, पंचांग तैयार करने का आधार बनेगा। यह सिद्धांत ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभावों को स्पष्ट रूप से बताता है। BHU इस सिद्धांत को उपयोग में लाकर एक ऐसा पंचांग तैयार करेगा जो न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही होगा, बल्कि देशभर में सभी धर्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों के सही समय का निर्धारण भी करेगा।
तीन चरणों में पूरी होगी पंचांग तैयार करने की प्रक्रिया
BHU में पंचांग तैयार करने की प्रक्रिया को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में पंचांग की गणना के लिए आवश्यक तिथियों और ग्रहों की स्थिति की जांच की जाएगी। दूसरे चरण में विभिन्न प्रयोगों के द्वारा उस पंचांग को प्रमाणित किया जाएगा। अंत में, विद्वानों के सहयोग से इस पंचांग पर एक सहमति बनाई जाएगी, और इसे आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।